कविता वाराणसी

अल्पविराम

मैं अल्पविराम सी
बस रुकीं हूं कुछ पल को
खत्म न समझना मुझे
कम ना आंकना मुझे
अभी रवानी बाकी है
अभी कहानी बाकी है

कईयों बार रुकना सही है
कुछ पल ठहरना तय है
कुछ ताकत बटोर रही हूं
खुद को टटोल रही हूं

बहुत कुछ सहेजना है
बहुत कुछ समेटना है
समझना है बहुत कुछ
बहुत कुछ समझ लिया है

जिंदगी रुकी है मगर
रिश्ते जिंदा हो गए
कुछ मिल गए दिल
जो जुदा थे हो गएं

हां अल्प विराम है ये
पर कहानी अभी बाकी है
ट्रेलर दिखाया है अपना
पूरी फिल्म अभी बाकी है

निधि मिश्रा

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