बिहार। पंचायत चुनाव को लेकर सूबे का सियासी पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। इसको लेकर अब सत्तारुढ दल के नेता भी मुखर हो रहे है। बिहार में पंचायती राज के प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है। अब मांग यह हो रही है कि जब तक नए प्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक वर्तमान में काम कर रहे जन प्रतिनिधियों का अधिकार जारी रखा जाए। इस बात की शुरूआत प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने की थी। लेकिन, अब इसकी मांग BJP सांसद रामकृपाल यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और अब बिहार सरकार पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी ने भी करनी शुरू कर दी है। मुकेश सहनी ने मांग ही नहीं की, बल्कि इस बात को लेकर जा पहुंचे अपने सहयोगी और हम के सुप्रीमो जीतन राम मांझी के पास। मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी ने इस पर मिलकर एक राय भी बना ली है। इन दोनों की मुलाकात लगभग एक घंटे चली।
मंत्री मुकेश सहनी ने मांझी से मुलाकात की एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर भी डाला है और लिखा है कि आज NDA के सहयोगी एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से मुलाक़ात हुई एवं विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। डिजिटल सिग्नेचर के वजह से काफ़ी पंचायत में कार्य प्रभावित हो रहा है, ऐसे में यदि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को नहीं बढ़ाया गया तो विकास कार्य प्रभावित हो सकता है। ऐसे में सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल जब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होती तब तक के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।
मंत्री मुकेश सहनी और पूर्व CM जीतनराम मांझी की ये मुलाकात आने वाले समय के सियासत को और गरम कर रहें हैं। सियासत में कहा जाता है कि छोटे दल आपस में मिल जाए तो वो बडे दलों के लिए खतरा हो जाते है। शायद ये मुलाकात उस ओर ही इशारा कर रहा है। जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी बिहार के NDA सरकार की वो चाभी है जो जब चाहे तब ताला खोल सकते है। क्योंकि NDA सरकार भले बहुमत में हो लेकिन संख्या बॉर्डर लाइन पर ही है। बता दें कि अभी NDA के 128 MLA का समर्थन है जिसमें 4 मांझी के और 4 मुकेश सहनी के हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 MLA का समर्थन चाहिए। ये राजनीतिक घटनाएं तब हो रही है जब RJD सुप्रीमो लालू यादव जेल से बाहर है और वो राजनीति में सक्रिय हो गए हैं।