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मेरठ के वयोवृद्ध कवि धर्मजीत सरल का निधन

मेरठ। वयोवृद्ध गीतकार धर्मजीत सरल शुक्रवार रात 10 बजे निधन हो गया। सरल आगामी एक जून को अपना 88वां जन्मदिन मनाने वाले थे। वे कवि, गीतकार होने के साथ ही नाट्य कलाकार भी थे। वर्षों तक इप्टा से जुड़कर 100 से ज्यादा नाटकों में अभिनय किया। उनका जन्म मेरठ में हुआ था। नियंत्रक लेखा परीक्षक कार्यालय में 36 साल सेवा देकर रिटायरमेंट लिया था। सरल के निधन से साहित्य जगत में शोक है।

मेरठ में ही हुआ था जन्म

साथी रामगोपाल भारतीय ने बताया सरल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म 1 जून 1933 को मेरठ के शेखलाल मोहल्ले में हुआ था। उनके पिता का नाम बलदेव सिंह और मां का नाम न्यादरी देवी था। वे सुभाष नगर मेरठ में रहते थे। सरल अपने पीछे पत्नी, पुत्र, पुत्रियां, नाती-पोते भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनकी कविताएं पाठ्यक्रम में बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं।

धर्मजीत सरल के गीत की पंक्तिया हुई मशहूर

अगला जन्म बताओ तो कब किसने देखा है। मिलना है तो इसी जनम मिलने की बात करो।

देश के बड़े बड़े साहित्यकारों गोपाल दास नीरज, सोहन लाल द्वेवेदी, संतोषानंद, किशन सरोज, शिशुपाल निर्धन आदि के साथ कवि मंच साझा किया। इनका गीत संग्रह तुम पुकारते तो सही काफी लोकप्रिय हुआ। उन्होंने बच्चों के लिए भी गीत लिखे।

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