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सालों से फरार चल रहे इनामी बदमाशों का बाल भी बांका नहीं कर पा रही पुलिस

वाराणसी। जिले में तीन माह से लागू कमिश्नरेट सिस्टम फेल होता दिखाई दे रहा है। जिले की पुलिस सालों से फरार इनामी बदमाशों का बाल बांका भी नहीं कर पा रही है। पुलिस की इस नाकामी के कारण फरार बदमाश कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। हाल में हुई घटनाओं में बदमाशों पर इनाम घोषित कर और उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस सिर्फ अपनी पीठ थपथपानेे में लगी है।

22 साल से फरार हैं सिकंदर और सहाबुद्दीन

वाराणसी पुलिस के मुताबिक, गाजीपुर थाना के महरूपुर के अताउर रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर और सहाबुद्दीन अगस्त 1999 से वांछित हैं। दोनों पर 2-2 लाख रुपए का इनाम घोषित है। यह दोनों बदमाश कहां और किस हाल में हैं, पुलिस को इसकी कोई जानकारी नहीं है। अगर यह दोनों बदमाश पुलिस के सामने आ भी जाएं तो कोई इन्हें पहचान सके, यह लाख टके का सवाल है।

सोनू, बीकेडी और दीपक एक बड़ी चुनौती

हाल के सालों में वाराणसी और आसपास के जिलों की पुलिस के लिए नरोत्तमपुर निवासी मनीष सिंह सोनू एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है। हत्या और रंगदारी के लिए कुख्यात सोनू के खिलाफ बीते महीने ही जंसा थाने में रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज किया गया था। सोनू पर अब 2 लाख का इनाम घोषित है। वहीं, वाराणसी सेंट्रल जेल में बंद एमएलसी बृजेश सिंह से अदावत के लिए चर्चित इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी पर एक लाख का इनाम घोषित है। नई बस्ती रामापुरा निवासी दीपक वर्मा उर्फ गुड्‌डू पर भी एक लाख का इनाम घोषित है। दीपक को जानने वालों का कहना है कि वह शहर में ही रहता है और अपने करीबियों से मेलजोल भी रखता है। इसके बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रही? यह समझ से परे है।

ये भी पुलिस के लिए बने हैं चुनौती

जिले की पुलिस के लिए ऐसे कई बदमाश हैं, जो एक चुनौती बने हैं। इनमें एक लाख का इनामी बदमाश सलीम उर्फ मुख्तार शेख और 50 हजार के इनामी बदमाश विश्वास शर्मा उर्फ नेपाली, अजीम अहमद व मनीष कुमार सिंह दीनदासपुर का नाम सुर्खियों में रहता है। इन बदमाशों के गुर्गे रंगदारी और भाड़े पर हत्या करने का काम आज भी प्लानिंग के साथ अंजाम दे रहे हैं। पुलिस का मुखबिर तंत्र और सर्विलांस इनके आगे पूरी तरह से ध्वस्त है।

क्या कहते हैं पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ?

वहीं, मामले में पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ने कहा कि सभी एसीपी और थाना प्रभारियों को कार्ययोजना बनाकर इनामी बदमाशों की धरपकड़ के लिए कहा गया है। इसकी समीक्षा भी शुरू कराई गई है। समीक्षा में यह देखा जाएगा कि किस थाना प्रभारी ने इनामी बदमाश को पकड़ने के लिए क्या प्रयास किया है। समीक्षा में सामने आए तथ्यों के आधार पर असफल मिलने वाले थाना प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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