उत्तर प्रदेश प्रदेश लेटेस्ट न्यूज़ वाराणसी

सीवर के पानी-केमिकल से हरा हो रहा गंगा का पानी, बढ़ रहा शैवाल

वाराणसी। काशी में गंगा नदी का पानी हरा हो रहा है। इसकी मुख्य वजह इसमें रोज गिरने वाला सीवर का 60 एमएलडी पानी है। सीवर के पानी में ऑर्गेनिक मेटल होता है, जो शैवाल का पसंदीदा भोजन है। इसी कारण गंगा में काफी दूर तक पानी हरा नजर आ रहा है। ये शैवाल जलीय जंतुओं के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की मानें, तो जब तक भारी बारिश नहीं होगी, तब तक गंगा में कोई बदलाव नहीं दिखेगा।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया की कमेटी ने बनारस से मिर्जापुर तक गंगा की सैंपलिंग कराई थी। जिसकी जांच रिपोर्ट शुक्रवार को जिलाधिकारी को सौंप दी गई है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. टी एन सिंह ने बताया कि अस्सी नाला से गंगा में प्रतिदिन 50 एमएलडी सीवर का पानी सीधे गिरता है।

वहीं घुरहा नाला से 10 और रामनगर नाला से 10 एमएलडी पानी गंगा में प्रतिदिन गिर रहा है। वहीं, जांच में पता चला है कि मिर्जापुर में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजेंट प्लांट से बहकर इनऑर्गेनिक मेटल गंगा में आ रहा है। इसमें मौजूद नाइट्रेट पानी के स्वभाव को बदल देता है।

इस समय गंगा में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में मौजूद है, जबकि पानी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस होना ही नहीं चाहिए। इनकी मौजूदगी से शैवाल तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे जलीय जन्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सिंह ने कहा कि डिजॉल्व ऑक्सीजन और बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड एक-दूसरे के प्रतिकूल होते हैं, जिसका असर पानी में दिखाई देता है।

अभी पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 8 मिलीग्राम है

एक लीटर पानी में 5 मिलीग्राम से कम ऑक्सीजन होने पर वह इस्तेमाल करने लायक नहीं रहता। अभी यहां इसकी मात्रा 8 मिग्रा के आसपास है, जो थोड़ा ही ऊपर है। बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा एक लीटर पानी में तीन मिली ग्राम से भी कम होनी चाहिए।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *