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हिरासत में मौत के मामले में पोस्टमाॅर्टम की वीडियोग्राफी कराएं अस्पताल – सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे व इसकी खामियों को सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्ट को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें एक निर्देश यह भी है कि पुलिस हिरासत में मौत के मामलों में अब अस्पताल द्वारा वीडियोग्राफी कराई जाएगी।

इसी के साथ यह निर्देश भी जारी किया गया है कि अब मेडिकल जांच व पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मानव शरीर का स्केच छापा जाएगा, जिसमें चोट स्पष्ट दर्शाया जाना अनिवार्य होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि अब तक ऐसे मामलों में जांच रिपोर्ट पर सवाल उठते रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने आपराधिक मामलों के ट्रायल में क्रिमिनल प्रैक्टिस में बदलाव के कुछ ड्राफ्ट रूल को स्वीकृति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट सलाहकारों द्वारा तैयार इन ड्राफ्ट नियमों को छह महीने के भीतर लागू करने के निर्देश सभी हाईकोर्ट को दिए हैं। साथ ही नियमों में संशोधन करने के लिए भी कहा है।

ये हैं सभी हाईकोर्ट को जारी दिशा-निर्देश

  • मेडिको लीगल प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के पीछे मानव शरीर का प्रारूप हो। इसमें शरीर में आई चोटें स्पष्ट रूप से दिखाना होगा, जिससे सही स्थिति साफ हो।
  • ऐसे मामले में अस्पताल पोस्टमार्टम की तस्वीरें और वीडियोग्राफी पुलिस या किसी सरकारी फोटोग्राफर कराएं। इसे कोर्ट में पेश हों।
  • आरोपी को गवाहों के बयान, दस्तावेज की प्रति दी जाए।
    गवाहों के बयान गवाह की भाषा के साथ अंग्रेजी में भी दर्ज हो। एक अनुवादक मुहैया कराया जाएगा।

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