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धर्मांतरण करवाने वाले मौलानाओं की विदेशी फंडिंग रोकने के लिए नया फैसला

लखनऊ। उतर प्रदेश में धर्मांतरण के मामले सामने आते ही ATS सक्रिय हो गई है। जांच के दौरान पता चला है कि धर्म बदलवाने के खेल में शामिल मौलानाओं को विदेशी फंडिंग करने के तार कनाडा और कतर से भी जुड़े हैं। विदेशी कनेक्शन सामने आते ही पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने लिंक खंगालने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में विदेशी फंडिंग पर नजर रखने के लिए और इस्लामिक दावा सेंटर जैसे संगठनों के आर्थिक स्रोतों को डैमेज करने के लिए ATS मुख्यालय में इकोनॉमिक विंग बनाया गया है। पहली बार बनी यह शाखा आपरेशन के दौरान पकड़े गए देश विरोधी ताकतों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी। इस शाखा की तरफ से जुटाए गए साक्ष्य अपराधियों को सजा दिलाने में ATS का मजबूत हथियार भी बनेंगे।

आतंकवाद निरोधी दस्ता ATS के लिए बीते कुछ साल में रोहिंग्या घुसपैठिए और धर्मान्तरण के जरिये आतंकी पैदा करने वाले संगठन चुनौती बनकर उभरे हैं। ATS हर साल इन संगठनों से जुड़े अपराधियों को पकड़कर जेल भेज रही, लेकिन इनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य इतने मजबूत नहीं होते की उन्हें कोर्ट में सजा दिलाई जा सके। इस तरह के अपराधियों को सजा दिलाना ATS के लिए बेहद चुनौती भरा काम है। इसका तोड़ निकालने हुए ATS से खुद का इकोनॉमिक विंग खड़ा किया है।

रिमांड के दौरान ATS को मिली थी विदेशी फंडिंग की जानकारी

एटीएस की रिमांड के दौरान पता चला कि विदेशों से होने वाली फंडिंग के लिए उमर गौतम और उसके परिवार के लोगों के खातों का इस्तेमाल किया गया। इनके खाते में इस्लामिक देशों के साथ ही कनाडा से भी बड़ा फंड आता था। गिरोह के तार कनाडा से लेकर कतर तक फैले हैं। इसके साथ ही उमर के तार असम की संस्था मारकाजुल मारिफ से जुड़े हैं। उमर गौतम को मरकाजुल मारिफ भी से रकम मिली है।

अर्थव्यवस्था को चोट पहुचाने वाले साक्ष्य बनेंगे सजा का आधार

  • ATS के उच्चाधिकारियों का कहना है कि धर्मान्तरण या विदेशियों को अवैध रूप से घुसपैठ कराने वाले संगठनों को पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य कोर्ट में सजा दिलाने के लिए काफी नहीं होते। साक्ष्य के अभाव में ऐसे देश विरोधी अपराधी जल्दी जमानत पर बाहर आकर दोबारा अपराध शुरू कर देते हैं।
  • कई मामलों में वह बरी भी हो जाते हैं। लेकिन अगर चार्जशीट के साथ कोई ऐसा साक्ष्य कोर्ट में पेश किया जाए जो साबित कर सके कि हो रहे अपराध से देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंच रही है तो ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना आसान होगा।
  • अधिकारियों के मुताबिक ATS की इकोनॉमिक विंग में अफसरों की एक यूनिट हर वक्त सक्रिय रहेगी। इसके लिए इन्हें आधुनिक उपकरण और सॉफ्टवेयर मुहैया कराए गए हैं। यह यूनिट सूचीबद्ध अपराधियों की फंडिंग और उनके बैंक खातों पर हर वक्त नजर रखेगी। हवाला के जरिये होने वाले ट्रांजेक्शन को पकड़ने के लिए इससे जुड़े लोगों की मॉनिटरिंग की जाएगी।
  • अभी तक ऐसे अपराधियों को पकड़ने के बाद आर्थिक मामलों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय ED का सहारा लेना पड़ता है। ED की रिपोर्ट आने तक अपराधी जमानत पाकर जेल से बाहर चले जाते हैं। लेकिन ATS की यह शाखा अब गिरफ्तारी के साथ ही उनके फंडिंग से जुड़े साक्ष्य जुटाकर चार्जशीट के साथ ही इसे कोर्ट में पेश कर देगी।

FCRA और FEMA के उलंघन को अदालत मानती है गम्भीर अपराध

विदेशों से होने वाले लेनदेन को नियंत्रित रखने के लिए फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेटरी एक्ट और फॉरेन एक्सजेंच मैनेजमेंट एक्ट बनाया गया है। FCRA के अंतर्गत विदेश से चंदा या आर्थिक सहयोग लेने वाली धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाएं आती हैं। इस कानून का उद्देश्य ऐसे फंड का देश हित मे इस्तेमाल सुनिश्चित करना है।

FEMA के तहत ऐसे व्यापारी संगठनो को नियंत्रित किया जाता है जो विदेशों से व्यापार करते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरुण टंडन के मुताबिक विदेशी फंड का इस्तेमाल तस्करी और आतंकी गतिविधियों में होने से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले भारी नुकसान को रोकने के लिए यह काननू बनाये गए।

इसकी रोकथाम के लिए ही NSA जैसे कड़े कानून भी बनाये गए हैं। ATS की आर्थिक शाखा पकड़े गए अपराधियों के फंड और उसके सोर्स को इन कानूनों का उलंघन साबित करना होगा।

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