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मेराज के भाई ने कहा- अंशु ने नहीं STF ने मारा

वाराणसी। चित्रकूट जेल में मेराज अहमद उर्फ भाई मेराज की हत्या की स्क्रिप्ट 9 माह पहले सितंबर 2020 में ही लिख दी गई थी। यह दावा मेराज के बड़े भाई और रेलवे के कर्मचारी रहे अब्दुल कलाम खान ने ‘दैनिक भास्कर’ से रविवार को किया। उनका आरोप है कि मेराज की हत्या शूटर अंशु दीक्षित ने नहीं बल्कि STF ने की है। मेराज दो दशक से लाइसेंसी असलहे रखता था, उसका फर्जीवाड़ा अचानक उजागर होता है और फिर हार्डकोर क्रिमिनल हुए बगैर ही उसे अचानक वाराणसी से चित्रकूट जेल शिफ्ट कर दिया जाता है। फिर अचानक एक दिन वह मारा जाता है।

मेराज यदि अपराधी होता तो उसके जनाजे में पूर्वांचल और प्रदेश ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों के भी हजारों लोगों की भीड़ न उमड़ती। मेराज के जनाजे में उमड़ी भीड़ ने यह बता दिया है कि मेरा भाई अल्लाह द्वारा दी गई जिंदगी में किस किस्म शख्स था।

मेराज ने कहा था- अब जेल जा रहा हूं तो यह तय है कि हत्या हो जाएगी

अब्दुल कलाम खान ने कहा कि मेराज के खिलाफ सितंबर 2020 में वाराणसी के जैतपुरा थाने में असलहे का फर्जी तरीके से नवीनीकरण कराने के आरोप में केस दर्ज हुआ। जिसने असलहे के नवीनीकरण का कागज बनवाया था उसके खिलाफ पुलिस ने आज तक कार्रवाई नहीं की। पुलिस जब वाराणसी के अशोक विहार कॉलोनी स्थित मेराज का घर गिराने लगी तो उसने कहा कि भैया अब समर्पण करना ही उचित रहेगा। उसके समर्पण के बाद जब उसे जेल भेजा जाने लगा तो उसने कहा था कि अब यह तय है कि उसकी हत्या हो जाएगी।

20 मार्च को चित्रकूट जेल शिफ्ट किए जाते समय भी उसने कहा था कि उसकी आशंका उसे सच साबित होती हुई नजर आ रही है और जैसा उसने कहा था वैसा ही हुआ। मेराज की जेल बदलने का कोई कारण नहीं था। उसने न जेल में किसी से अभद्रता की थी और न वह खूंखार अपराधी था, लेकिन जिन्हें उसकी हत्या करानी थी वह जानते थे कि वाराणसी कारागार में वह अपना लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकेंगे।

सुबह 10 बजे हत्या हुई तो शाम 6 बजे तक डेड बॉडी जेल में क्यों पड़ी थी?

मेराज के बड़े भाई ने कहा कि पुलिस ने उन्हें कहानी सुनाई कि जेल में सुबह 10 बजे गोलीबारी की घटना हुई थी। वह और उनके परिजन शाम 5 बजे चित्रकूट जेल पहुंचे। वहां पता लगा कि अफसर मीटिंग कर रहे हैं और डेड बॉडी अभी भी जेल के भीतर ही पड़ी है। अफसरों से बात की गई तो छह बजे के बाद किसी तरह से मेराज सहित तीनों के शव पोस्टमार्टम हाउस भेजे गए। फिर कहा गया कि अब आज पोस्टमार्टम नहीं हो पाएगा। फिर प्रयास किया गया तो रात 2:30 बजे के बाद पोस्टमार्टम शुरू हुआ। तमाम बाधाओं को पार करते हुए अगले दिन सुबह 6:15 बजे डेड बॉडी सौंपी गई। फिर पुलिस रास्ते भर लोकेशन पूछती रही।

गाजीपुर जिले में सैदपुर पहुंचते ही एंबुलेंस के आगे-पीछे पुलिस की गाड़ी लग गई। इसका कारण पूछा गया तो कहा गया कि सुरक्षा के मद्देनजर ऐसा किया गया है। बताइए भला कितनी हास्यास्पद बात है, जिसे जेल की सलाखों के पीछे सुनियोजित तरीके से मार डाला गया उसके शव की सुरक्षा के लिए पुलिस की 5 जीप लगाई जा रही है।

2003 में मायावती के सामने बसपा में शामिल हुआ था मेराज

मेराज वर्ष 2003 में वाराणसी के सारनाथ में बसपा अध्यक्ष मायावती के सामने उनकी पार्टी में अपने समर्थकों संग शामिल हुआ था। उसके पहले कभी उस पर शांतिभंग के आरोप में भी कार्रवाई नहीं हुई थी। 2002 में अनिल राय की हत्या हुई तो उसमें भी बाद में पुलिस ने मेराज का नाम साजिशकर्ता के तौर पर जोड़ा था। इसके बाद किसी की हत्या या हत्या के प्रयास के आरोप में मेराज का नाम नहीं आया।

अब्दुल कलाम खान ने कहा कि हिंदू से मुस्लिम धर्म अपनाने वाले हम लोग गाजीपुर जिले के महेन गांव में चौधरी परिवार के वंशज कहलाते हैं। हम पांच भाइयों में चार भाई पुलिस और रेलवे के कर्मचारी हैं, जबकि मेराज को नेतागीरी का शौक था। कई वर्षों से पिछली बार तक ग्राम प्रधान हमारे ही खानदान से चुना जाता रहा। हमारी इज्जत और प्रतिष्ठा के बारे में जिसे भी जानना हो वह एक अजनबी की तरह हमारे गांव या अगल-बगल के गांवों में आकर पता कर लें।

सभी केस पुलिस ने दर्ज कराए, आम आदमी ने एक भी नहीं

वाराणसी पुलिस के डोजियर के अनुसार, मेराज के खिलाफ वाराणसी और रायबरेली में 14 मामले दर्ज हैं। अब्दुल कलाम खान ने कहा कि सभी 14 केस पुलिस की ओर से ही मेराज के खिलाफ दर्ज कराए गए हैं। आम आदमी ने एक हत्या, रंगदारी, लूट, डकैती या दुष्कर्म के आरोप में एक भी मुकदमा नहीं दर्ज कराया है। पुलिस कैसे मुकदमा दर्ज करती या कराती है यह सबको पता है। खास बात यह भी है कि वर्ष 2007 के बाद मेराज के खिलाफ 13 साल बाद एक बार फिर पुलिस की ओर से ही वर्ष 2020 में मुकदमा दर्ज कराया गया, कारण कि उसकी हत्या करनी थी। अगर मेराज इतना बड़ा अपराधी था तो आम आदमी की ओर से भी दो-चार केस तो उसके खिलाफ होने चाहिए था।

सबसे बड़ी अदालत ऊपर वाले की, किसी और पर नहीं है भरोसा

अब्दुल कलाम खान ने कहा कि जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है। मेरे भाई की जिंदगी इतने ही दिन की थी और मौत एक बहाने से उसे हम सबसे दूर ले गई। हमें सिर्फ ऊपर वाले की अदालत पर ही अब भरोसा है। देर भले ही होगी लेकिन वह इंसाफ जरूर करेंगे। हम और किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएंगे कि हमारे साथ न्याय करिये। हमारा जो नुकसान होना था उसकी इस जीवन में भरपाई नहीं हो सकती है। अगर न्याय, प्रशासन और शासन नाम की चीज होती तो मेराज की हत्या जेल की सलाखों के पीछे इतनी बेरहमी से न होती।

जो मुख्तार का मैनेजर बता रहे वह बताएं कि मेराज की संपत्तियां कहां हैं?

मेराज को जो लोग विधायक मुख्तार अंसारी के गिरोह का मैनेजर और कर्ताधर्ता बता रहे हैं, वह लोग अब खुदा के वास्ते हम पर रहम करें। या फिर सामने आकर यही बता दें कि मेराज ने कहां-कहां संपत्तियां बनाई हैं। उसके घर कहां-कहां हैं और कितना बैंक बैलेंस छोड़ कर गया है और कितनी जमीन कहां खरीदा है। गांव आकर भी लोग पता कर सकते हैं कि क्या कहीं मेराज ने दो ईंट भी रखवाई थी या कहीं कोई खेत खरीदा था। हमारे समाज में कहा जाता है कि जो धरती छोड़ कर चला जाता है उसके बारे में दुष्प्रचार नहीं किया जाता है, इसलिए अब मेराज को भी बख्श दिया जाए।

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