उत्तर प्रदेश प्रदेश लेटेस्ट न्यूज़

UP में नई गाड़ी का 7 दिन में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी

बरेली। उत्तर प्रदेश में बिना रजिस्ट्रेशन अब चमचमाती गाड़ियां रोड पर दौड़ना मंहगा साबित होगा। परिवहन विभाग ने गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए मोटर वाहन अधिनियम की कई धाराओं में परिवर्तन किया है। इसे एक जून से प्रभावी कर दिया गया है। नए नियम के मुताबिक, यदि कोई वाहन शोरूम से निकलने के सात दिनों के बाद भी बिना रजिस्ट्रेशन के सड़क पर दौड़ता हुआ मिला तो डीलर को वाहन पर लगने वाले रोड टैक्स का 15 गुना जुर्माना देना होगा, जो यूपी में करीब डेढ़ गुना तक बैठता है। यदि गाड़ी किसी दूसरी जगह से खरीदी गई है और उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो गाड़ी मालिक को रोड टैक्स का एक तिहाई जुर्माना देना होगा।

आसान भाषा में समझिए, कितना लगेगा जुर्माना

यदि कोई गाड़ी 10 लाख रुपए कीमत की है और उस पर 10 फीसदी रोड टैक्स लग रहा है तो 10 लाख की कीमत वाली गाड़ी का रोड टैक्स एक लाख रुपए हुआ। सात दिनों के अंदर अगर डीलर ने गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं किया तो उसे रोड टैक्स का 15 गुना यानी कि 10 लाख की कीमत वाली गाड़ी का 15 लाख रुपए जुर्माना देना होगा। जो कि गाड़ी की कीमत से भी काफी ज्यादा है। इसी तरह से गाड़ी मालिक ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो उसे रोड टैक्स का एक तिहाई जुर्माना देना होगा। यानी उसे 10 लाख की गाड़ी पर करीब 33 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।

इतना ही नहीं किसी डीलर या वाहन मालिक ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर रजिस्ट्रेशन कराया है तो उसे 6 महीनें से एक साल तक की जेल और रोड टैक्स का दो तिहाई (2/3) जुर्माना देना होगा। यह नियम 1 अप्रैल, 2021 से लागू हो चुका है, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से अभी तक इसके तहत कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। एक जून इसके तहत अब कार्रवाई शुरू हो गई है।

यूपी में किस गाड़ी पर कितना रोड टैक्स

वैसे तो हर प्रदेश में अलग-अलग तरह से रोड टैक्स लगता है। बात करें यूपी की तो यहां पर प्राइवेट गाड़ियों पर 10 लाख या इससे अधिक की गाड़ी होने पर 10 फीसदी ही रोड टैक्स लगेगा। यदि गाड़ी की कीमत 10 लाख रुपए से कम है तो एसी वाली गाड़ियों पर 8 फीसदी और बिना एसी वाली गाड़ियों पर 7 फीसदी रोड टैक्स लगता है। जो केवल एक बार देना होगा। मगर कॉमर्शियल गाड़ियों का टैक्स प्रति वर्ष के हिसाब से लगाया जाता है। जिसमें तीन पहिया वाली गाड़ियों पर 600 रुपए प्रति सीट, चार पहिया में 2350 रुपए प्रति सीट का टैक्स लगता है। वहीं, ट्रकों पर प्रति टन के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। विभाग की तरफ से 893 रुपये प्रति टन के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। जो कि प्रति वर्ष देना होता है।

क्यों होती है रजिस्ट्रेशन में देरी?

ट्रांसपोर्ट डिपोर्टमेंट के अधिकारियों की माने तो रजिस्ट्रेशन में देरी की मुख्य वजह है कि जब तक गाड़ी का पूरा पैसा डीलर के पास नहीं पहुंचता वह रजिस्ट्रेशन नहीं करता है। कई मामलों में देखा गया है कि कुछ रकम देने के बाद गाड़ी डिलीवर कर दी जाती है लेकिन पूरा पैसा नहीं पहुंच पाता। जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन अटकता है। साथ ही टैक्स रसीद कटने के बाद गाड़ी सेल होने के डॉक्यूमेंट्स अपलोड होने में देरी की वजह से भी रजिस्ट्रेशन में देरी होती है। हालांकि सूत्रों का कहना यह है कि डीलर गाड़ी को पहले बेच देते है उससे जो रकम मिलती है उसे दूसरे कामों में लगा देते है। रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख पर आकर ही रजिस्ट्रेशन करते हैं।

गाड़ी रोड पर चलाने के लिए यह सब जरूरी

यदि आप किसी भी प्राइवेट गाड़ी के लिए रोड पर चलाते है तो नए मोटर वाहन एक्ट के अनुसार आपके पास गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बीमा, पल्यूशन फ्री सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट होना चाहिए। यदि आपके पास यह सब कुछ है तो आपको को कोई भी नहीं रोक सकता। हालांकि यदि आपकी गाड़ी कॉमर्शियल है तो इन सभी डॉक्यूमेंट्स के साथ फिटनेस का भी होना जरूरी है।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *