वाराणसी। उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश की वजह से वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। शुक्रवार की सुबह वाराणसी में गंगा का जलस्तर 62.52 मीटर दर्ज किया गया। गुरुवार की सुबह गंगा का जलस्तर 60.48 मीटर था। इस तरह से 24 घंटे में 2.04 मीटर जलस्तर बढ़ा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार प्रति घंटे 7 से 8 सेंटीमीटर की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश की वजह से गंगा के जलस्तर में अभी और तेजी से बढ़ोतरी होगी। वाराणसी में गंगा जलस्तर का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है।
घाट किनारे के मंदिर-मढ़ियां पानी में समाए
गंगा का जलस्तर बढ़ने की वजह से अस्सी से राजघाट के किनारे स्थित छोटे मंदिर और मढ़ियां पानी में समा गए हैं। गंगा को घाट की सीढ़ियों की ओर बढ़ता देख तीर्थ पुरोहितों और माझियों ने अपना सामान सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया है। बड़ी नावों को घाटों पर लगे पोलों और भवनों की कड़ियों से बांधना शुरू कर दिया गया है तो छोटी नावों को घाट के ऊपरी हिस्से की ओर ले जाने का काम शुरू कर दिया गया है। माझियों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का असर खत्म होने के बाद किसी तरह से गंगा में नौकायन शुरू हुआ तो अब बाढ़ आ गई। अब अगले 2 माह तक एक तरह से नौकायन ठप ही रहेगा।
वरुणा किनारे रहने वालों की चिंता बढ़ी
गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो पलट प्रवाह के कारण वरुणा में बाढ़ आ जाती है। इसके चलते प्रत्येक वर्ष कोनिया, नक्खी घाट, ऊंचवा, सिंधवा घाट सहित आसपास के अन्य इलाकों के 350 से ज्यादा भवन बाढ़ के पानी से घिर जाते हैं। इन इलाकों में रहने वालों का कहना है कि गंगा का जलस्तर तकरीबन 2 मीटर और बढ़ेगा तो उनकी मुश्किलों का सिलसिला बढ़ जाएगा। गंगा का जलस्तर बढ़ता देख सभी अपने सामान को सुरक्षित स्थान पहुंचा कर लगभग 2 माह के लिए नए ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं।