लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में ग्रामीण आबादी में कोरोना संक्रमण की टेस्टिंग और दूरदराज के इलाकों में चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के कदमों पर असंतोष जताया है। अदालत ने कहा है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ‘राम भरोसे’ चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की जरुरत है।
अगर यही हाल रहा, तो हम राज्य की जनता को कोरोना की तीसरी लहर में ले जाएंगे। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कई सुझाव भी दिए हैं। बता दें, सोमवार को योगी सरकार की ओर से दावा किया गया था कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी बेहतर है। किसी भी जिले में परेशानी का सामना नहीं किया जा रहा है।
अदालत ने कहा है कि गांवों और कस्बों में सभी प्रकार की पैथालॉजी सुविधा और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लेवल-टू स्तर की चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। बी और सी ग्रेड के शहरों को कम से कम 20 आईसीयू सुविधा वाली एंबुलेंस दी जाए। हर गांव में दो एंबुलेंस होनी चाहिए, ताकि गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा सके। कोर्ट ने यह सुविधा एक माह में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत वर्मा की बेंच ने कहा कि शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं नाकाफी हैं। ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों में तो जीवन रक्षक उपकरण हैं ही नहीं। अदालत ने बिजनौर का उदाहरण दिया, जहां एक लाख से अधिक की आबादी के बावजूद लेवल-3 अस्पताल नहीं है। तीन सरकारी अस्पतालों में 150 बिस्तर हैं। अदालत ने सरकार से 22 मई तक मेडिकल कॉलेजों का अपग्रेडेशन प्लान भी पेश करने के लिए कहा है।
ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह या राजद्रोह लगेगा: बीजेपी विधायक राठौड़
‘विधायकों की हैसियत ही क्या है? हम ज्यादा कुछ कहेंगे तो देशद्रोह या राजद्रोह लगेगा’, ये कहना है उत्तर प्रदेश में सीतापुर (सदर) से बीजेपी विधायक राकेश राठौड़ का। उनसे पूछा गया था कि उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन का सख्ती से पालन क्यों नहीं किया जा रहा है जबकि राज्य कोरोना महामारी से जूझ रहा है।
जिला प्रशासन की लापरवाही पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं कुछ भी कहूंगा तो संकट में आ जाऊंगा। सोमवार को उनके इस बयान का वीडियो काफी चर्चा में रहा। इसमें उन्हें कहते सुना जा सकता है कि क्या आपको लगता है कि कोई विधायक अपनी बात रख सकता है?