प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करते समय कोविड-19 के कारण चुनाव अधिकारियों-कर्मचारियों की मौत पर सरकार के मुआवजे की रकम को कम बताया है। कहा, मुआवजा कम से कम एक करोड़ होना चाहिए। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की डबल बेंच ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।
डबल बेंच ने प्रदेश की योगी सरकार और चुनाव आयोग को मुआवजे की राशि को वापस लेने और मुआवजा एक करोड़ किए जाने का आदेश दिया है। योगी सरकार ने चुनाव से पहले ऐलान किया था कि चुनाव ड्यूटी के दौरान कोविड-19 की वजह से मरने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को 35 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा।
ड्यूटी के लिए बाध्य किया गया
हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार की आजीविका चलाने वाले व्यक्ति की जिंदगी के मुआवजे का आंकलन करना मुश्किल है। लेकिन कम से कम एक करोड़ का मुआवजा होना चाहिए। राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने जानबूझकर बिना RT-PCR जांच के ड्यूटी करने के लिए कर्मचारियों को बाध्य किया गया। हाईकोर्ट ने कहा, हमें आशा है कि सरकार फिर से मुआवजे की राशि पर विचार करेगी।
उत्तर प्रदेश में कागजी दावों (सरकारी आंकड़े) के अनुसार कोरोना संक्रमण कमजोर पड़ रहा है। लेकिन मौत के बढ़ते मामलों में डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज में देरी और लक्षणों को नजरअंदाज करना मौत का सबब बन रहा है। इसके प्रति लोगों को गंभीर होना पड़ेगा।
प्रदेश में मंगलवार को 24 घंटे में 20,463 नए केस मिले। 14 अप्रैल के बाद यह सबसे कम आंकड़ा है। उस दिन 20,439 केस मिले थे। यानी 28 दिन बाद नए केस में बड़ी गिरावट देखी गई है। 24 अप्रैल को सर्वाधिक केस 37,944 संक्रमित मिले थे। इसके बाद से संक्रमण दर में गिरावट मिल रही है। डॉक्टर इसे पीक मान रहे हैं। वहीं, बीते 24 घंटे में 306 लोगों की मौत हुई है। सुकून देने वाली बात है कि इस अवधि में 29,358 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है।