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गुरु आनंद गिरि का आरोप- महंत आशीष की हुई थी हत्या

प्रयागराज। निरंजनी अखाड़े से निष्कासित योग गुरु स्वामी आनंद गिरि और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच विवाद गहराता जा रहा है। आनंद गिरि ने साल 2019 में निरंजनी अखाड़े के पूर्व सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध मौत को हत्या करार दिया है। कहा, जमीन घोटाला करके अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि ने ऐसा माहौल बनाया कि महंत आशीष गिरि की लाश कमरे में मिली। उन्होंने CM योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है।

आशीष गिरि की मौत स्वभाविक नहीं थी

आशीष गिरि की स्वभाविक मौत नहीं थी। यह सीधे हत्या का मामला है। हमने उस समय भी इस मामले की सही जांच कराने की मांग की थी, पर मेरी आवाज को दबा दिया गया। इस मामले में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई और पुलिस पर दबाव बनाकर जांच को दबा दिया गया। आनंद गिरि ने कहा कि मुख्यमंत्री खुद एक योगी हैं और वो अखाड़े की नस-नस से वाकिफ हैं। मैं खुद भाजपा के साथ लंबे समय से जुड़ा रहा हूं। ऐसे में सरकार से मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। मेरे साथ कोई अनहोनी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि स्वामी नरेंद्र गिरि का शुरू से ही समाजवादी पार्टी से जुड़ाव रहा है। समाजवादी पार्टी ऐसे विवादित लोगों को संरक्षण देती रही है यह जगजाहिर है। मुझे आशा है कि मुख्यमंत्री इस मामले में खुद हस्तक्षेप करेंगे और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे। उन्होंने सीएम को लिखे पत्र में मांडा , हरिद्वार में बेची गई करोड़ों की उन जमीनों का भी जिक्र किया है जिनको लेकर विवाद उठता रहा है।

विरोध किया तो माैत या निष्कासन

आनंद गिरि ने कहा कि महंत आशीष गिरि ने भी करोड़ों की जमीनों को बेचने का विरोध किया था। उसकी मौत के पीछे जमीनों का राज दफन है। उम्मीद है सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएगी। हालांकि इस विवाद की बड़ी वजह मठ बाघंबरी गद्दी की जमीन पर आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप खोलने को लेकर विवाद बताया जा रहा है। आनंद गिरि ने कहा कि मेरे साथ बड़ी साजिश रची गई है। कहने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन अभी इस प्रकरण पर कुछ नहीं बोलना चाहते। फिलहाल इस घटनाक्रम से मन में भय व्याप्त हो गया है। मेरी हत्या कराई जा सकती है। अभी मुझे अपने प्राण बचाने हैं।

पेट्रोल पंप खुलवाने को लेकर भी हुई थी रार

महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि आनंद गिरि के नाम से पेट्रोल पंप खोलने की योजना थी। उनके नाम से ही 12 सौ वर्ग गज भूमि का एग्रीमेंट किया गया था और एनओसी भी मिल गई थी। नरेंद्र गिरि ने कहा कि मुझे जब इस बात का पता चला कि इस जगह पेट्रोल पंप नहीं चल पाएगा, तो मैंने उसे निरस्त करा दिया। इससे आनंद गिरि नाराज हो गए। जब आनंद गिरि के उस आरोप पर नरेंद्र गिरि से सवाल किया गया जिसमें आस्ट्रेलिया में फंसे आनंद गिरि को छुड़ाने के लिए चार करोड़ रुपए की वसूली की गई थी तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि विदेशी लड़की यदि अपना बयान न बदलती तो आनंद गिरि आज तक रिहा नहीं हो सकते थे। उस लड़की ने बयान कैसे बदला यह जांच का विषय है। उनका इशारा पैसे देकर उसका मुंह बंद कराने की ओर था। उन्होंने जमीन बेचने की बात को खारिज कर दिया। कहा कि बाघंबरी गद्दी मठ की एक इंच जमीन न तो बिकी है और न ही बिकने दी जाएगी। इस तरह की बातें निराधार और मनगढ़ंत रूप से कही जा रही हैं।

अब अमर गिरि देखेंगे मठ-मंदिर

स्वामी आनंद गिरि को निष्कासित किए जाने के बाद मठ के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी बदल दी गई है। बाघंबरी गद्दी मठ और संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के प्रबंधन का दायित्व स्वामी अमर गिरि को सौंप दिया गया है। अब अमर गिरि की देखरेख में बड़े हनुमान मंदिर की समस्त व्यवस्थाएं चलेंगी। उधर, मठ और मंदिर में आनंद गिरि की सेवा में रहने वाले करीबियों को भी बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है।

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