प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा कोरोना महामारी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को राम भरोसे कहने के बाद सरकार के माथे पर बल पड़ गया है। हाईकोर्ट ने हर गांव में दो आईसीयू सुविधा वाले एंबुलेंस तैयार करने और 30 बेड वाले अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने जैसे कई ऐसे आदेश दिए हैं जो कि तय समयसीमा में पूरा करना सरकार के लिए टेढ़ी खीर है। विधि के जानकारों का मानना है कि सरकार 22 मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान तैयारियों को अमली जामा पहनाने के लिए कुछ और मोहलत मांग सकती है। उत्तर प्रदेश में कुल लगभग 59163 ग्राम सभा हैं। इन ग्राम सभाओं में लगभग 97941 गांव हैं। ऐसे में प्रदेश में प्रति गांव के हिसाब से सरकार को कुल 195882 एंबुलेंस लेनी होगी। अब ऐसे में सरकार को एंबुलेंस कर व्यवस्था करने के लिए टेंडर निकालना होगा। टेंडर की प्रकिया पूरी करने में ही काफी समय लगता है। टेंडर फाइनल होने के बाद एक माह में एंबुलेंस का आर्डर पूरा कर गांवाें में पहुंचाना आसान नहीं होगा।
3 महीने में कैसे होगा वैक्सीनेशन….
इसके अलावा कोर्ट ने वैक्सीनेशन तीन माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अभी जो वैक्सीन लगने की गति है इसे देखकर तो कहीं से नहीं लगता कि सरकार तीन माह में वैक्सीनेशन का काम पूरा कर लेगी। यह भी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने प्रदेश सरकार को आदेशित किया है कि सभी 30 बेड वाले नर्सिंग होम व अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाए। इसके अलावा प्रयागराज, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर में भी उच्चीकृत सुविधाओं वाले मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने का आदेश दिया है। हालांकि सरकार को यह प्रकिया पूरी करने के लिए चार माह का समय दिया है। अब सरकार के सामने मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए जमीन का अधिग्रहण करना और फंड की व्यवस्था कर निर्माण कार्य चार माह में पूरा करना बड़ी चुनौती है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्रवण त्रिपाठी कहते हैं कि हाईकोर्ट ने जो भी आदेश दिया है उसे तय समय सीमा में पूरा करना बड़ी चुनौती है।