लखनऊ। बसपा के पूर्व सांसद दाउद अहमद के लखनऊ स्थित अवैध निर्माण पर रविवार को प्रशासन ने अपना हथौड़ा चला दिया। दरअसल, रिवर बैंक कॉलोनी में दाउद अहमद ने 5 मंजिला बिल्डिंग खड़ी कर दी। निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से एनओसी नहीं ली गई थी। जबकि विभाग बार-बार नोटिस जारी कर रहा था। बावजूद इसके अवैध निर्माण को नहीं गिरवाया। अब लखनऊ प्रशासन ने नगर निगम, ASI और पुलिस विभाग के साथ मिलकर बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाया है।
इस बिल्डिंग का नक्शा भी एलडीए के अधिकारियों ने बिना ASI की अनापत्ति के ही स्वीकृत कर दिया था। हालांकि बाद में विरोध के बाद इसको निरस्त कर दिया। अब ASI के आदेश पर जिला प्रशासन और पुलिस के लोग संयुक्त अभियान चलाकर इमारत को ध्वस्त कर रहे हैं। ये बिल्डिंग रेजीडेंसी के नजदीक है और इस सीमा के भीतर ऊंचे निर्माण प्रतिबंधित है।
बिल्डिंग गिराने में फेल हो चुका था एलडीए
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की ओर से इस अवैध बिल्डिंग को गिराने की कोशिश पूर्व में की गई थी। लेकिन रसूख और कागजों में फंसा कर इसको रोक दिया गया था। तब नक्शा पास होने और अन्य कई कारण बताते हुए कार्रवाई रोकी गई थी। इस बिल्डिंग को लेकर बाद में एएसआई के संयुक्त निदेशक ने पूर्व सांसद दाउद को नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सात दिन में ये निर्माण खुद हटा लें। हटाए न जाने की दशा में प्रशासन की जेसीबी मशीनों ने इमारत को ध्वस्त करना शुरू कर देगा।
रविवार सुबह सात बजे से ही बिल्डिंग को गिराने के लिए कार्रवाई की गई। विरोध की आशंका को लेकर पुलिस फोर्स को भी बुला लिया गया था। लेकिन कोई विरोध के लिए सामने नहीं आया। बिल्डिंग पांच मंजिला बनाई गई है। इसमें केवल फिनिशिंग काम बचा था।
लालबाग में भी गिराई जा चुकी है बिल्डिंग
पूर्व सांसद की इससे पहले लालबाग 12 डिसूजा रोड स्थित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर भी एलडीए कार्रवाई कर चुका है। दाऊद ने यहां चार मंजिला का नक्शा पास कर पांचवी मंजिल भी बना ली थी। उसके बाद डीएम अभिषेक प्रकाश के हस्तक्षेप के बाद एलडीए की तरफ से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी। बिल्डिंग को सील करते हुए नोटिस जारी किया था।
कौन हैं दाउद अहमद?
दाउद अहमद 1999 से 2004 तक शाहबाद सीट से बसपा के टिकट पर सांसद रहे। शाहबाद सीट में आखिरी चुनाव 2004 में हुआ था। परिसीमन बदलने के बाद 2008 में यह सीट हरदोई के नाम से अस्तित्व में आई। 2007 से 2012 तक पिहानी हरदोई से वह विधायक रहे हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह मोहम्मदी से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, पर हार गए थे। हालांकि साल 2019 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल बता कर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इनको पार्टी से निकाल दिया था।