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एक बहुत प्यारा रिश्ता जिसको कहते हैं भाभी-वर्षा प्रधान

“भाभी एक ऐसा रिश्ता”

एक बहुत प्यारा रिश्ता जिसको कहते हैं भाभी..
यह वह सुंदर रिश्ता है जो जीवन का बहुत अनमोल रिश्ता है भाभी छोटी हो या बड़ी भाभी ,भाभी होती है
भाई की जान होती है ,भाई की शान होती है…
बचपन की 21 साल की यादों को संभालने की हकदार होती है
मायके के एक- एक दीवार को सजाती है बचपन में जिस बिस्तर पर सोते थे आज भी उसका चादर बदलकर पूरा ख्याल रखती है अपनी मेहनत से उस रसोई को संभालती है
जिस रसोई में बड़े प्यार से मां रोटियां बनाती थी उस हर बर्तन को संभालती है जिसको कभी मैं संभाल कर रखा करती थी …..
जिन रिश्तेदारों और परिवार के बीच मेरा बचपन बीता था आज उनका ख्याल वही भाभी रखती है
जब मायके की दहलीज पर पहुंचो तो भाई से पहले भाभी गले लगाती है पानी का ग्लास लिए उसी रसोई से निकलती है जिससे कभी माँ अपने आंचल से ग्लास को पोछती हुई बाहर आती थी ये भाभियाँ बहुत प्यारी होती है क्योंकि इनमें माँ का अक्स नजर आता है माँ की ममता नजर आती है…..
ससुराल की दहलीज से निकलकर जैसे ही राह पर होती हूं फोन की घंटियां बजने लगती हैं क्या बनाऊं क्या खाना है वहां जाने पर सब ऐसा सजा होता है मानो माँ ने बनाया हो पापा ने सजाया हो एक पल भी एहसास नहीं होने देती ये भाभियाँ बड़ी प्यारी होती है……..
जिन दीवारों के रंगों का चयन कभी खुद किया करती थी आज उन दीवारों का ख्याल ये भाभियाँ ही तो रखती हैं ढलती दीवार के रंगों की चमक सी होती हैं ये भाभियाँ बड़ी प्यारी होती हैं ये भाभियाँ…..
बचपन में लगाए जिन पौधों की देखभाल मैं किया करती थी आज उसी पौधों में पानी डालने की हकदार होती है ये भाभियाँ ……..
आपके द्वारा बिताए 21 साल का पूरा कार्यभार यह पूरा जीवन संभालती हैं उस आंगन में मेरे बचपन को जिंदा रखती हैं ये भाभियाँ……..
मायके की सुबह में देर से सोकर उठो तो चाय का प्याला लिए बड़े प्यार से जगाती हैं खुद जल्दी नहा कर मुझे नाश्ते के बाद नहाने को बोलती है ये भाभियाँ ये बड़ी प्यारी होती हैं ये भाभियाँ …….
जिस माता-पिता ने पैदा किया उनकी देखभाल ये भाव से ही करती हैं दवा से लेकर खाना घूमना हर एक पल का ख्याल रखती हैं ये भाभियाँ
जिनकी वजह से मन निश्चिंत है
सालों से कि इन्होंने मेरा बचपन संजोया है जब 2 दिन बाद वापस आने का समय होता है तो पूरे हक से बड़े प्यार से रोकती हैं और माँ की हाँ में हाँ मिला कर सारे काम सीख लेती है ये भाभियाँ बड़ी प्यारी होती है ये भाभियाँ…..
बार-बार बच्चों की गलतियों पर यह बताना बुआ को आने दो बुआ को बता देंगे ऐसा कह कर मेरे अस्तित्व को जिंदा रखती हैं ये भाभियाँ बड़ी प्यारी होती है ये भाभियाँ ……..
मायके से जब निकलती हूं तो माँ को देखा करती थी मेरी मांग में पीला सिंदूर लगाते हुए चावल से गोद भरते हुए उसको भी सीख लेती है एक परंपरा मानकर जब माँ नहीं रहती तो फिर उसी भाव से जल्दी -जल्दी चावल को इकट्ठा करना बड़े प्यार से भाई से रुपया मांगना जैसे मम्मी पापा से मांगा करती थी मांग में सिंदूर लगाना और गोद में चावल को भर देना और गले लगाकर चिपक जाना यह सब माँ से ही तो सीखा था एक परंपरा मानकर और परंपरा को प्यार में बदल देती हैं ये भाभियाँ बड़ी प्यारी होती हैं ये भाभियाँ…….
मेरे बचपन की कोई सहेली उन्हें मिल जाए तो उनका सम्मान वैसे ही करती हैं मानो उनका बचपन का कोई रिश्ता रहा हो घर के एक-एक रिवाजों में शामिल हो जाती हैं ये भाभियाँ ……
जिस भाई पर जान छिड़कती है ये बहन उस भाई का हर पल ख्याल रखती हैं भाभियाँ हाँ उस भाई की उम्मीद होती हैं ये भाभियाँ….…
भाई की कलाई सुनी हो तो तड़प जाती हैं ये भाभियाँ रक्षाबंधन भाई दूज पर राह देखती हैं ये भाभियाँ इसलिए बड़ी प्यारी होती है ये भाभियाँ ……
मायके के हर सुख दुख में शामिल होती हैं ये भाभियाँ माता-पिता ना हो तो मायके में तो दोनों की कमी को पूरा करती हैं ये भाभियाँ …….
बचपन मे जिस आंगन में नन्हें-नन्हें पैरों की पायल छनकती थी मेरी आज उसी आंगन में छनकती पायल के बीच खनकती चूडियों के बीच बिताती हैं ये जीवन भाभियाँ…….
जिस आंगन में बीचो-बीच गड़ा मेरे शादी का मंडप उसी आंगन में भाई के साथ गाँठ जोड़कर पूजा सुनकर शुभ संकेत की मंगल कामना करती है ये भाभियाँ …….…
कितना लिखूं क्या लिखूं शब्द ही कम पड़ रहे हैं कहना सिर्फ यह है कि भाई की जान होती है ये भाभियाँ ,भाई की शान होती है ये भाभियाँ आपके जीवन का सम्मान आपकी बचपन का मान होती है ये भाभियाँ…….
आज दिल की तमन्ना थी लोग माँ पर लिखते हैं पिता पर लिखते हैं भाई पर लिखते हैं बहन पर लिखते हैं न जाने किन -किन रिश्तो पर लिखते हैं उस पर कभी किसी ने नही लिखा जिसने आपके पूरे मायके और पूरे परिवार को संभाला आपका बचपन संभाल कर रखा आपके भाई का सम्मान बना कर रखा ये भाभियाँ ही हैं जिनके साथ आप अपने बचपन को जी सकते है

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