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शत्रुजीत ब्रिगेड के 75 जवानों ने एक साथ आसमान से की पैराग्लाइडिंग

आगरा। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर पूरा देश इसे अमृत महोत्सव के तौर पर मना रहा है। आगरा में एयरफोर्स स्टेशन पर शुक्रवार को सुबह 7 बजे एयर फोर्स की शत्रुजीत ब्रिगेड के 75 जवानों ने एक साथ आसमान से पैराग्लाइडिंग की। उन्होंने अपने अदम्‍य साहस और वीरता का प्रदर्शन कर सभी को तालियां बजाने के लिए विवश कर दिया। लोग दांतों तले उंगुली दबाकर इस प्रदर्शन को देखते रहे। इस अवसर पर थल सेना ने अपने विभिन्‍न हथियारों का भी प्रदर्शन किया।

एनसीसी के कैडेट ने नेता जी की प्रतिमा को किया साफ

एनसीसी आगरा द्वारा आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत 36 माल रोड स्थित नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की एनसीसी कैडेट द्वारा साफ सफाई की गई। इस दौरान आधे घण्टे का स्टेज प्रोग्राम भी किया गया।

एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस है आगरा

भारतीय वायु सेना का आगरा एयरबेस एशिया में सबसे बड़ा है। यहां पर 1971 में पाकिस्‍तानी फाइटर प्‍लेन बी-57 ने बम गिराए थे। लेकिन एयरबेस से पाक विमानों पर इतना ज्यादा हमला हुआ कि वे भागने को मजबूर हो गए। इनमें से एक फाइटर प्‍लेन को मारकर गिरा दिया गया था। इस एयरबेस पर लगभग छह हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। एयरबेस पर ढाई सौ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तैनात हैं। सीमा तक जवानों को और रसद पहुंचाने का काम इन एयरक्राफ्ट से होता है। आसमान में उड़ते हुए जहाज को हवा में फ्यूल देने का श्रेय भी इसे ही जाता है।

द्वितीय विश्‍वयुद्ध में अमेरिका के लिए तैयार किया गया था एयरबेस

इस एयरबेस को सबसे पहले द्वितीय विश्‍वयुद्ध में अमेरिका के लिए तैयार किया गया था। वर्ष 1942 में जापान से लड़ने के लिए अमेरिकी जंगी विमान इस एयरपोर्ट का इस्‍तेमाल सप्‍लाई और मेंटेनेंस के लिए करते थे। तब इसका नाम आगरा एयर ड्रॉप था। विश्‍वयुद्ध खत्‍म होने के बाद रॉयल इंडियन एयर फोर्स ने इसका इस्‍तेमाल बंद कर दिया था। आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश में चार अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर के एयरबेस की स्‍थापना करवाई। इसमें आगरा एयरबेस चौथे विंग के रूप में था। आज यह विशाल एयर बेस बन चुका है। इस एयरबेस पर 66 हजार करोड़ रुपए (दस बिलियन डॉलर) के उपकरण तैनात हैं।

पाकिस्तान ने किया था हमला

1948 हो या 1965 या फिर 1971 का युद्ध, हर बार आगरा स्टेशन के पैराकमांडो, एयरफोर्स स्क्वाड्रन ने युद्ध में अपने वीरता का परिचय दिया है। 1971 के भारत – पाक युद्ध के दौरान देश के आठ हवाई अड्डों पर पाकिस्तानी वायुसेना ने अचानक हमला कर दिया था। उनमें से एक आगरा एयरबेस भी था। तीन दिसंबर 1971 की रात को यहां पर पाक फाइटर प्‍लेन बी-57 ने 16 बम गिराए गए थे। ये बम 500 पाउंड वजन के थे। इनमें से तीन बम एयरफोर्स परिसर में रनवे पर फटे। इसके बाद एयरबेस से ही एंटी एयरक्राफ्ट गन से पाक विमानों पर इतने हमले किए गए कि हमलावर पाकिस्तानी सात स्क्वाड्रन का बी-57 विमान गिर गया। बाकि विमान भागने को मजबूर हो गए। कैनबरा विमानों ने पाक विमानों का पीछा किया। तीनों बम से एयरबेस के रनवे को मामूली क्षति हुई थी।

एक्सप्रेस वे को लड़ाकू विमानों के उतरने लायक बनाया गया है

इस रात में ही तत्‍कालीन एयर कमोडोर जफर जहीर ने ठीक करवा दिया। इसकी वजह से एक दिन के लिए भी यहां से उड़ान ठप नहीं हुई। आगरा एयरबेस पर यहां पर आईएल 76, एएन 32, सी17, सी124 जहाजों का बेड़ा है। यहां पर विमान पर अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (अवाक्‍स) भी तैनात है। यह आसमान में चार सौ किलोमीटर तक की आसमानी गतिविधि पर नजर रखता है। पाकिस्‍तान हो या चीन, भारत में रहकर ही इनकी वायु निगरानी की जा रही है। एयरपोर्ट पर भविष्‍य में होने वाले खतरों के मद्देनजर अब एक्‍सप्रेस वे को लड़ाकू विमानों के उतरने लायक बनाया गया है और इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है।

आगरा में एकमात्र पैरा ट्रेनिंग सेंटर

आगरा एयरबेस में देश का इकलौता पैराशूट ट्रेनिंग सेंटर (पीटीएस) है। यहां एक साल में करीब 13 हजार जवान ट्रेनिंग लेते हैं। सालभर में लगभग 41 हजार बार जवान यहां छलांग लगाते हैं। भारत, बांग्‍लादेश, श्रीलंका आदि देशों के जवान यहां पर पैराशूट की सहायता से विमान से आसमान में कूदने की ट्रेनिंग लेते हैं। मशहूर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने यहीं पर पैराट्रूपर बनने की ट्रेनिंग ली थी। भारतीय जवान आसमान में 40 हजार फुट की ऊंचाई से कूद सकते हैं। ये जवान युद्ध के स्‍थान से 40 किलोमीटर दूर विमान से छलांग लगाएंगे। उन्‍हें रडार नहीं पकड़ सकता है।

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