वाराणसी। चित्रकूट जेल शूटआउट की घटना के बाद प्रदेश की जेलों में विशेष सुरक्षा बैरक की व्यवस्था की गई है। अब यदि किसी बंदी को जेल में बंद किसी अन्य बंदी से जान का खतरा होगा तो उसके अनुरोध पर उसे विशेष सुरक्षा बैरक में रखा जाएगा। उस बैरक में कोई अन्य बंदी नहीं जाएगा। विशेष सुरक्षा बैरक की निगरानी की जिम्मेदारी एक डिप्टी जेलर को दी जाएगी। विशेष सुरक्षा बैरक में कोई गड़बड़ी होगी तो उसके लिए जिम्मेदार निगरानी करने वाले डिप्टी जेलर ही होंगे।
एक हाते से दूसरे हाते में जाने पर रजिस्टर में दर्ज करना होगा विवरण
जेल के अंदर बंदी अब यदि एक हाते से दूसरे हाते में जाएगा तो इसका विवरण रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। इसके साथ ही उस बंदी की गतिविधियों पर बंदीरक्षक नजर रखेंगे। बंदी किस बंदी से मिल रहा है, इसका भी विवरण रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। अनावश्यक आवाजाही को रोकने के लिए भी शासन स्तर से निर्देश दिया गया है।
वाराणसी में जेल की क्षमता से तीन गुना ज्यादा बंदी, नहीं है वॉच टॉवर
वाराणसी जिला जेल की क्षमता 747 बंदियों की है, लेकिन मौजूदा समय में यहां 2100 से ज्यादा बंदी हैं। इन बंदियों की निगरानी के लिए जिला जेल में वॉच टॉवर नहीं हैं। जैमर भी अभी उसी क्षमता के हैं जो कि सिर्फ 2जी मोबाइल को ट्रैक कर सकते हैं। जेल के अंदर के कई सारे सीसीटीवी कैमरे भी खराब हैं। इसे लेकर जेलर पीके त्रिवेदी ने कहा कि जो भी खामियां हैं उनके संबंध में सरकार को पत्र भेज कर अवगत कराया गया है। एक बैरक को विशेष सुरक्षा बैरक के तौर पर तब्दील कर दिया गया है। फिलहाल जिला जेल में आपस में रंजिश रखने वाले या एक-दूसरे के विरोधी गुट के बंदी नहीं हैं। बंदी जेल परिसर में इधर से उधर जाते हैं तो उसका विवरण दर्ज कर बंदीरक्षकों से उनकी निगरानी कराई जाती है।