नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 10 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने सोमवार यानी 27 सितंबर को भारत बंद करने की बात कही है। विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के 10 महीने पूरे होने पर बंद का किसान संगठनों ने आह्वान किया है। 27 सितंबर को होने वाली भारत बंद को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में देशभर के तमाम किसान संगठन हर राज्यों में जनसभाएं कर लोगों से अपील कर रहे हैं कि वह भारत बंद में किसानों का साथ दें और उनका समर्थन करें। संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि कर्मचारी यूनियन, ट्रांसपोर्ट यूनियन समेत कई संस्थाओं के भारत बंद को पहले ही अपनी सहमति दे दी है। हालांकि किसानों के भारत बंद का असर इस बार दिल्ली में देखने को नहीं मिलेगा।
दिल्ली: – राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 27 सितंबर को भारत बंद का असर नहीं देखने को मिलेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान नेता इस बार दिल्ली के अंदर जाकर विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा है कि दिल्ली के अंदर आने वाले रास्तों को ब्लॉक कर वह अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस भारत बंद को लेकर अलर्ट पर है। – भारत बंद की वजह दिल्ली-एनसीआर में लाखों छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। असल में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस एग्जाम 27 सितंबर है, ऐसे में एनसीआर से आने वाले छात्रों को परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने में दिक्कत होगी। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के मनजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि किसी भी छात्र को परीक्षा में जाने से नहीं रोका जाएगा। हरियाणा: – संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हरियाणा के किसानों ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के लिए भारत बंद के तहत 27 सितंबर को सभी राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को 10 घंटे (सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे) के लिए अवरुद्ध करने का दावा किया है। हरियाणा बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने कहा कि एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं को भारत बंद से कोई दिक्कत नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ”हम सरकारी नीतियों के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं लेकिन जनता को कोई असुविधा नहीं पहुंचाना चाहते हैं। हमने दुकानदारों, कर्मचारियों और कर्मचारियों से भी बंद के आह्वान में शामिल होने और समर्थन करने की अपील की है।”
पंजाब: -संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आह्वान को समर्थन देने की अपील पर फिलहाल पंजाब सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने सिंघू सीमा का दौरा करने की इच्छा जताई थी लेकिन अभी तक इस पर कोई बात नहीं हुई है। बीकेयू डकौंडा के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने कहा है कि पंजाब सरकार अभी भी पुनर्गठन मोड में है, इसलिए वे अपने आप में हैं … चूंकि कृषि कानूनों के कारण राज्यों के अधिकारों से वंचित किया गया है, इसलिए हमने उनसे इस बंद का समर्थन करने की अपील की है। हम 27 सितंबर को सभी क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर भागीदारी की उम्मीद करते हैं।” ओडिशा:- वहीं भारत बंद को लेकर ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर में प्रमुख कार्यालयों के अपने कर्मचारियों को 27 सितंबर की सुबह 9.30 बजे तक दफ्तर पहुंचने के लिए कहा है। ओडिशा राज्य के विशेष गृह सचिव संतोष बाला ने सभी विभागों के सचिवों को सलाह दी है कि वे लोक सेवा भवन, खारवेल भवन, राजीव भवन में कार्यरत अपने अधिकारियों और कर्मचारियों और विभागों के प्रमुखों को दिन में कम से कम 9.30 बजे कार्यालय पहुंचने के लिए कहें।
-वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में भारत बंद का असर देखने को अधिक नहीं मिलेगा। उत्तर प्रदेश के किसानों ने किसान संगठन के इस बंद का समर्थन करने की फिलहाल कोई बात नहीं कही है।