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भारत-जापान की दोस्ती को मजबूत करेगा रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर

वाराणसी। कोरोना महामारी की वजह से लंबे समय से काशी से दूर रहे पीएम मोदी आज वाराणसी पहुंचेंगे। यहां पीएम 5 घंटे रहेंगे। इस दौरान रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, BHU में बने नेत्र अस्पताल, वाराणसी से प्रयागराज के बीच रो-रो सर्विस और मल्टीलेवल पार्किंग जैसी 5 बड़ी सौगात देंगे।

इनमें कुल 1475.20 करोड़ रुपए की परियोजनाएं शामिल हैं। 744.02 करोड़ के 78 प्रोजेक्ट का लोकार्पण होगा और 730.38 करोड़ के 205 प्रोजेक्ट का शिलान्यास शामिल है। काशी प्रवास के दौरान वह सबसे पहले BHU IIT के खेल मैदान में जनसंभा को संबोधित करेंगे। इसके अलावा वह BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल के एमसीएम विंग में कोरोना की संभावित तीसरी लहर की तैयारियों पर चर्चा करेंगे।

यहां आने से पहले बुधवार को ही उन्होंने लगातार पांच ट्वीट किए थे और इसके जरिए उन्होंने बदलती काशी की तस्वीरों को सोशल मीडिया के जरिए लोगों से साझा किया था। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर जापान की मदद से बनाया गया है। यह भारत और जापान की दोस्ती का प्रतीक है।

इन प्रमुख परियोजनाओं का प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर: 1200 सीट की क्षमता वाले हॉल के साथ ही 150 लोगों की क्षमता वाले दो मीटिंग हाल यहां बनाए गए हैं। जापानी शैली के गार्डेन और लैंडस्केप के साथ ही यहां प्रदर्शनी, म्यूजिक कंसर्न और नाटक के मंचन की सुविधा है। जापानी तकनीक का यहां ऑडियो-विजुअल सिस्टम है।​​​​​​​

ऐसे पड़ी थी रुद्राक्ष सेंटर की नींव

12 दिसंबर 2015 की शाम 6 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे दशाश्वमेध घाट पहुंचे थे। मोदी-शिंजो ने तब गंगा का दुग्धाभिषेक किया था। उसी दिन रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की नींव रखी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने शिंजो अबे को गंगा और शिव की महिमा के साथ काशी की ऐतिहासिकता और प्रामाणिकता का बोध कराया था। उन्होंने बताया था कि काशीवासियों को महादेव प्रिय हैं और उन्हें रुद्राक्ष बहुत भाता है। इसी के बाद तय हुआ कि काशी में भारत और जापान की सदियों पुरानी मित्रता रुद्राक्ष के नाम से जानी जाएगी।

प्रधानमंत्री ने आर्किटेक्ट निक्कन सेकेई को संदेश भिजवाया था कि रुद्राक्ष से काशी की प्राचीनता व सांस्कृतिक पहचान उभर कर सामने आए। रुद्राक्ष को देखने मात्र से ही शिव के प्रतीक का बोध हो। 2019 की शुरुआत में इसके लिए काम शुरू हुआ। जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सपोर्ट से इसका निर्माण हुआ है। आकर्षण का केंद्र स्टील का बना हुआ विशालकाय शिवलिंग का प्रतीक पंतनगर स्थित एक स्टील फैक्ट्री से 55 से ज्यादा अलग-अलग हिस्सों में वाराणसी आया।

45.50 करोड़ की से BHU अस्पताल में बना MCH विंग : BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल में 100 बेड का MCH विंग बनाया गया है। अब बनारस ही नहीं पूर्वांचल के अन्य जिलों और अन्य राज्यों की माताओं और उनके बच्चों का इलाज एक ही छत के नीचे हो सकेगा। इस विंग में 42 बेड के ICU और HDU की भी व्यवस्था है। स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की सारी सुविधाएं यहीं शिफ्ट की जाएंगी। यहां 16 जुलाई से OPD सेवा शुरू होगी।

29.65 करोड़ से बना क्षेत्रीय नेत्र संस्थान : BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल में क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में एक ही छत के नीचे मरीजों को जांच, भर्ती करने और ऑपरेशन की सुविधा मिलेगी। प्रयागराज और सीतापुर के बाद यह उत्तर प्रदेश का ऐसा तीसरा संस्थान है जहां 60 करोड़ की अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं और आंख से संबंधित सभी प्रकार के रोगों का उपचार अब संभव है।

22 करोड़ से बनारस से चुनार तक रो-रो वैसल्स का संचालन : पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रो-रो (रोल ऑन रोल ऑफ पैसेंजर शिफ्ट) वैसल्स सेवा शुरू होगी। रो-रो सर्विस को प्रयागराज तक ले जाने की तैयारी है। फिलहाल दो रो-रो चलेंगे। इनमें से एक का नाम स्वामी विवेकानंद और दूसरे का नाम सैम मानेक शॉ है। एक रो-रो खिड़किया घाट से रामनगर तक जाएगा और दूसरा खिड़किया घाट से चुनार तक जाएगा।

21.17 करोड़ रुपये से बनी गोदौलिया की बहुमंजिली पार्किंग : सड़क पर बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाले वाहनों के कारण वाराणसी में जाम एक बड़ी समस्या है। इसे देखते हुए गोदौलिया चौराहा पर पांच मंजिला बिल्डिंग की मल्टीलेवल पार्किंग बनाई गई है। यहां अब 375 दोपहिया वाहन खड़े किए जा सकेंगे।

50 करोड़ से बना आशापुर मार्ग पर बना RROB : वाराणसी-गाजीपुर मार्ग पर 50.17 करोड़ रुपये की लागत से थ्री लेन आरओबी बनाया गया है। इसके चलते अब आशापुर में वर्षों पुरानी जाम की समस्या खत्म होगी और वाहन आसानी से वाराणसी से गाजीपुर आ-जा सकेंगे।

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