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24 बार करके रक्तदान रश्मि बचा चुकी हैं दूसरों की जान

श्रुति, श्वेता व ज्योति भी संकट में आती हैं जरूरतमंदों के काम
काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं यह महादानी

वाराणसी। रक्तदान कर दूसरों की जिंदगी बचाने में उन्हें बड़ा सुकून मिलता है। उनका मानना है कि रक्तदान से बड़ा दुनिया में कोर्इ दान नहीं होता। इसी सोच को लेकर रश्मि अब तक 24 बार रक्तदान कर दूसरों की जान बचा चुकी हैं । रश्मि की ही तरह श्रुति, श्वेता व ज्योति भी रक्तदान करने वाली महादानियों में शामिल हैं। काशी में नारी शाक्ति का मिसाल बन चुकी ये महिलाएं संकट में फंसे लोगों के लिए रक्तदान कर उन्हें नर्इ जिंदगी देने का वह काम करती हैं।


सहेली पर संकट ने बनाया रक्तदाता –
सुंदरपुर की रहने वाली रश्मि सिंह पेशे से अध्यापिका हैं। पांच वर्ष पूर्व हुए एक वाकये का वह जिक्र करती हैं जिसने उन्हें रक्तदाता बना दिया। वह बताती हैं-‘तब उनकी शादी नहीं हुर्इ थी। कालेज के दिनों की एक सहेली को डेंगू हो गया था। उसे देखने के लिए उस रोज वह अस्पताल गयी थीं। सहेली की जान बचाने के लिए डाक्टर ने फौरन ब्लड चढ़ाने के लिए बोला था लेकिन उसके परिवार में कोर्इ भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो खून देने की स्थिति में हो। तब खून के अभाव में सहेली की सांस थमती देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह खुद रक्तदान कर उसकी जान बचायेंगी। सहेली के लिए रक्तदान करने के साथ ही उन्होंने रक्तदान के महत्व को जाना और संकल्प लिया कि अब वह दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए बराबर रक्तदान करती रहेंगी। तब से वह हर तीसरे माह रक्तदान करती हैं। कोरोना काल में भी यह सिलसिला नहीं थमा।


30 की उम्र में 24 बार रक्तदान –
रश्मि की उम्र महज 30 वर्ष है। इस उम्र में अब तक वह 24 बार रक्तदान कर चुकी हैं। उनका खून किसी की जान बचाने में काम आ रहा है, यह सोच कर उन्हें सुकून मिलता है। रश्मि बताती हैं, ‘शादी के बाद शुरू-शुरू में उनके ससुराल वालों ने उन्हें रक्तदान से रोकने की कोशिश की पर वह चोरी-छिपे रक्तदान कर ही आती थीं । फिर उन्होंने ससुरालवालों को समझाया कि यह कार्य कितना पुनीत और जरूरी है। तब वह लोग भी मान गये। अब तो उनके पति भी इस कार्य में उनका सहयोग करते हैं।


मजहब की दीवार ख़त्म करता है रक्तदान-
रश्मि सिंह कहती हैं – रक्तदान, महादान तो है ही, इसके साथ ही यह जाति और मजहब की दीवार को भी मिटाता है। जिस समय जान बचाने के लिए रक्त की जरूरत होती है उस समय इन सभी दुश्वारियों से लोग दूर हो जाते हैं । इसलिए रक्तदान इन्सानियत से नाता जोड़ने का भी एक माध्यम है।


यह भी हैं महादानियों में शामिल –
अब तक 12 बार रक्तदान कर चुकी केशव बिहार, नर्इ बस्ती-पाण्डेयपुर की रहने वाली श्रुति जैन की कहानी भी रश्मि सिंह से काफी मिलती जुलती है । तीन वर्ष पहले वह मैदागिन से घर लौट रही थीं। कबीरचौरा के पास हुर्इ दुर्घटना के बाद जुटी भीड़ को देखकर उनके भी पांव ठिठक गये। हादसे में घायल युवक को लोग अस्पताल ले जाने लगे तो पीछे-पीछे वह भी वहां पहुंच गयी। उस युवक का उपचार चल ही रहा था कि वहां उन्हें एक बुजुर्ग लोगों से गिड़गिड़ाते हुए दिखे । अस्पताल में भर्ती इस बुजुर्ग की बेटी की जान बचाने के लिए खून की जरूरत थी। बेटी के प्राण बचाने के लिए वह बुजुर्ग लोगों से मिन्नतें कर रहे थे, पर सब उनकी बातों को अनसुनी कर दे रहे थे। श्रुति जैन बताती हैं ‘बुजुर्ग की स्थिति भांपकर मैने रक्तदान की अहमियत समझी। उनकी बेटी के लिए उस रोज किये गये रक्दान से जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। अब तो वह बाकायदा रक्तदान शिविरों का आयोजन करती हैं । इसमें उनकी कर्इ सहेलियां बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं।’ श्रुति से ही प्रेरणा लेकर चौक क्षेत्र की रहने उनकी सहेली श्वेता अग्रवाल भी कर्इ वर्ष से रक्तदान कर रहीं हैं। ज्योति, वंदना भी वह नाम हैं जो लगातार रक्तदान करते हुए महादानियों में शामिल होकर शिव की नगरी काशी में नारी शक्ति की मिसाल बन चुकी हैं ।
रक्त दान से लाभ
रक्तदान दूसरों की जिंदगी तो बचाता ही है, खुद की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार कहते हैं रक्दान से कैंसर व मोटापे का खतरा तो कम होता ही है यह दिल की बीमारियों से भी बचाता है। रक्तदान के बाद शरीर की कोशिकाएं ज्यादा लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में जुट जाती है जो सेहत को सुधारता है। रक्दान से तुरंत पहले के हेल्थ चेकअप में हीमोग्लोबिन के स्तर का पता तो चलता ही है यदि कोइ संक्रमण होता है तो उसकी भी जानकारी मिल जाती है।
यहां कर सकते हैं रक्दान-
जिले में कुल 12 ब्लड बैंक हैं। इनमें कभी भी रक्तदान किया जा सकता है। किसी हादसे में घायल या अन्य जरूरतमंद को इन ब्लड बैंकों से रक्त प्राप्त हो जाता है। जिले में कई स्वंयसेवी संस्थाएं भी सक्रिय हैं हो जो समय-समय पर रक्दान शिविरों का आयोजन कर इन सभी ब्लडबैंकों में रक्त जमा कराती हैं। इसके अलावा सरकारी स्तर पर भी रक्तदान के लिए भी अभियान चलाए जाते हैं।

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