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संवेदनहीन हो गए हैं जनप्रतिनिधि – अनिल श्रीवास्तव “अनु”

वाराणसी। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व जोनल प्रवक्ता अनिल श्रीवास्तव “अन्नु ” ने संवेदनशून्य जनप्रतिनिधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह काशी की परम्परा व संस्कृति कभी नहीं रही कि काशीवासी सामान्य समस्याओं के लिए जनप्रतिनिधियों की बाट जोहे व उनके दरवाजे गुहार लगायें । सामान्य जनसमस्याएं विकराल बनकर खड़ी हैं और जनप्रतिनिधि जनता पर जिम्मेदारी छोड़ अट्टहास कर रहे, वो विधायक हों अथवा पार्षद सबका रवैया जनसमस्याओं के प्रति एक सा ही है, सब एक-दूसरे को आरोपित कर रहे निराकरण की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे।

उन्होंने कहा कि सफाई व्यवस्था हो या जर्जर सड़क व गली अथवा सीवर युक्त पानी अथवा बिजली सब पर इनकी चुप्पी है और इस चुप्पी से प्रशासनिक अमला औपचारिक कार्यवाही कर जनता को परेशानी में डाल रहा। एक ओर जर्जर सड़क व गलियां हैं उपर से गढ्ढे तथा गढढ्ढों में सीवर के मेनहोल नागरिकों का सड़क व गलियों में चलना मुहाल हो गया है।

अन्नु ने आरोप लगाया कि पहले तो सड़क निर्माण में मेनहोल का ध्यान नहीं रखा गया और जब बरसात ने जर्जर सड़कों की पोल खोली व भारी जलजमाव हुआ तब अधिकारियों ने उन मेनहोलों की खोज शूरू की जो सड़क निर्माण के चलते गायब हो गये थे ,अब उन मेनहोलों को सड़क खोदकर सफाई का कार्य करवाया जा रहा तथा उसे उसी हालत में छोड़ दिया जा रहा जो दुर्घटना का सबब बन रहा। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की गाड़ियां रोजाना उन मार्गों से गुजरती हैं पर वह उन्हें नजर नहीं आतीं।

अन्नु ने यह भी कहा कि करोड़ों रूपये खर्च बताकर जिन सड़कों का निर्माण हुआ वह सड़कें भी एक बरसात में अपना असली रुप दिखा रहीं तथा लाखों खर्च के बावजूद अधिकांश यातायात सिग्नल या तो काम नहीं कर और यदि कर रहे तो आधे अधूरे एैसी घोर अव्यवस्था व भ्रष्टाचार तब है जब जनप्रतिनिधियों का यह दावा है कि वह जागरूक हैं ।सड़क निर्माण के बहाने बांसफाटक से लेकर नीचीबाग तक का हिस्सा गाड़ियों का पार्किंग स्थल इस कदर बना है कि आम आदमी का पैदल चलना दूभर है जबकि इसी मार्ग पर बाहर से आये दर्शनार्थियों की रैला भी चल रहा और सावन नजदीक है।

अन्नु ने यह स्वीकार किया कि जनमुद्दों पर जो आवाज विपक्ष की भूमिका में राजनैतिक दलों को जनता के बीच उठानी चाहिए व जनमुद्दों पर संघर्ष होना चाहिए उसका आज गैर राजनैतिक सोच के कारण अभाव दिख रहा जो नहीं होना चाहिए जिसका खामियाजा जनता भुगत रही । सत्तासीन जनप्रतिनिधियों के संवेदनशून्य होने में यह भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

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