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परिवार नियोजन की अलख जगाएँगे पंचायत प्रतिनिधि

विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) पर विशेष

मथुरा जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की अनूठी पहल
संयुक्त हस्ताक्षर से प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर मांगी मदद
मुखिया ने कहा- हर किसी को बताएँगे छोटे परिवार के बड़े फायदे

लखनऊ, 10 जुलाई-2021 । परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सही मायने में धरातल पर उतारने को लेकर हर स्तर पर हरसंभव प्रयास निरंतर जारी हैं ताकि लोगों को ‘छोटे परिवार के बड़े फायदे’ की बात आसानी से समझाई जा सके । इस बारे में बड़े पैमाने पर जनजागरूकता के उद्देश्य से ही हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसँख्या दिवस मनाया जाता है । इस दिवस पर मथुरा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक अनूठी पहल की है, जिसका जिक्र करना लाजिमी है । जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से जिले के सभी पंचायत प्रतिनिधियों को पत्र जारी कर घर-घर परिवार नियोजन की अलख जगाने की अपील की गयी है । ग्राम प्रधानों ने भरोसा जताया है कि वह लोगों को इस बारे में जागरूक करने का हरसंभव प्रयास करेंगे ।
मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत चहल, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रचना गुप्ता के संयुक्त हस्ताक्षर से पंचायत प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर कोरोना से बचाव के साथ परिवार नियोजन कार्यक्रमों में भी मदद की अपील की गयी है । पत्र में जिक्र है कि पंचायत प्रतिनिधियों की गाँव के विकास में अहम् भूमिका है लेकिन बिना परिवार नियोजन के हम सही अर्थों में विकास के उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकते । इसलिए आइये हम सभी “परिवार नियोजन जीवन बचाता है” मूल मन्त्र को ध्यान में रखते हुए यह प्रण करें कि कोविड-19 के साथ-साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी केंद्र व राज्य सरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) के साथ मिलकर कार्य करेंगे । कोरोना को देखते हुए ही इस बार विश्व जनसँख्या दिवस पखवारे की थीम – “आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी” तय की गयी है ।
मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत चहल का कहना है कि विश्व जनसँख्या दिवस के जरिये परिवारों की बढती आबादी, लिंग असमानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गरीबी, मानवाधिकार, स्वास्थ्य के अधिकार, यौन शिक्षा, निरोधकों और कंडोम, प्रजनन स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, गर्भावस्था, बालिका शिक्षा, बाल विवाह, यौन संचारित संक्रमण और सुरक्षा उपायों का उपयोग आदि के बारे में जनजागरूकता लायी जाती है ।
मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ का कहना है कि प्रदेश में उपलब्ध विकास के संसाधनों का समुचित वितरण और बढती जनसँख्या दर के बीच संतुलन बनाने के लिए जनसँख्या स्थिरीकरण आज के समय की सर्वाधिक आवश्यकता है । इसके लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों में इन सेवाओं व सुविधाओं को प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं । निजी अस्पतालों को भी हौसला साझीदारी के माध्यम से इस मुहिम से जोड़ा गया है ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रचना गुप्ता का कहना है कि जिले में 27 जून से 10 जुलाई तक दम्पति संपर्क पखवारा चलाया गया । आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लक्ष्य दम्पति की सूची तैयार की है और लोगों को परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है । अब 11 से 31 जुलाई तक सेवा प्रदायगी पखवारा मनाया जाएगा और अंतराल विधियों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा । इस कार्य में यूपी टीएसयू के साथ ही सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), जननी और पीएसआई –टीसीआईएचसी समेत कई अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं भरपूर मदद पहुंचा रहीं हैं ।
विकास खंड बलदेव के हथकौली गाँव के प्रधान काली चरण का कहना है कि 11 से 31 जुलाई तक चलने वाले जनसँख्या स्थिरता पखवारे के दौरान वह आशा कार्यकर्ता से संपर्क कर लक्षित दम्पति तक पहुंचकर उन्हें परिवार नियोजन की सेवाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे । परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने का भी प्रयास होगा । पुरुष नसबंदी को लेकर जो भी भ्रांतियां हैं उन्हें दूरकर जिनका परिवार पूर्ण हो गया है, उन लोगों को नसबंदी के लिए प्रेरित करेंगे ।
विकासखंड राल के अरहेरा गाँव के प्रधान रामवीर सिंह का कहना है कि वह घर-घर जाकर लोगों को समझायेंगे कि पहले बच्चे की योजना शादी के दो साल बाद ही बनाएं और दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखें क्योंकि माँ-बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत जरूरी है । मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर काबू पाने के लिए भी यह बहुत जरूरी है ।
सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर उपलब्ध सेवाएं :
स्थायी विधि – महिला व पुरुष नसबंदी
अस्थायी विधि – ओरल पिल्स, निरोध, आईयूसीडी प्रसव पश्चात्/ गर्भ समापन पश्चात् आईयूसीडी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा व हार्मोनल गोली छाया (सैंटोक्रोमान)
विश्व जनसँख्या दिवस की शुरुआत :
विश्व जनसँख्या दिवस के आयोजन पर 11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी के पांच अरब पहुँचने पर विचार किया गया था । इस दिवस के आयोजन के बारे में विश्व बैंक के सीनियर डेमोग्राफर डॉ. के.सी. जकरिया द्वारा सुझाया गया था । यह आयोजन वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसल द्वारा स्थापित किया गया था ।

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