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अब गांव की ’सरकार’ भी रखेगी बच्चों के अधिकारों का पूरा ख्याल

खुली बैठकों में बाल कल्याण के मुद्दे पर हो सकेगी खुलकर चर्चा और समस्याओं का निदान
शिक्षा, चिक्त्सिा ही नहीं खेल मैदान की भी व्यवस्था भी संभालेगी यह सरकार

वाराणसी। गांव की ‘सरकार’ बनने के साथ ही बच्चों को भी उनके उनके अधिकार मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में उनकी शिक्षा, स्वास्थय के साथ ही खेल सम्बन्धी मुद्दों पर खुलकर चर्चा होगी और इससे सम्बन्धित समस्याओं का निदान हो सकेगा। उनकी पढ़ार्इ किस तरह से होगी, स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे मिलेंगी, खेल का मैदान कैसे हासिल होगा? जैसी मूलभूत आवश्यक्ताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी अब ‘गांव की सरकार’ की होगी।इस नयी व्यवस्था के लागू होने से वाराणसी के 694 ग्राम पंचायतों में भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।

प्रदेश की योगी सरकार सभी 58,189 ग्राम पंचायतों में सिटिजन चार्टर लागू करने जा रही है, इसमें संबंधित सुविधा का समयबद्ध निस्तारण हो सकेगा। शासन ने माडल सिटिजन चार्टर जारी कर दिया है। ग्राम पंचायतों को इसमें कुछ सुविधाओं का चयन करके 15 अगस्त तक लागू करना होगा। इसके तहत प्रदेश सरकार अब ’मेरी पंचायत, मेरा अधिकार जन सेवाएं हमारे द्वार’ अभियान शुरू कर रही है। इसमें गांव की सरकार को आम लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने की योजना है। यह पहल सिटिजन चार्टर के तहत हो रहा है। ग्रामीणों को जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने, परिवार रजिस्टर की नकल लेने, मनरेगा का जॉबकार्ड बनवाने जैसी जरूरतों के लिए अब शहर का चक्कर नहीं लगाना होगा। उन्हें यह सब सुविधाएं गांव में ही मिलेंगी। वह भी निर्धारित समय सीमा और तय शुल्क पर।

बच्चों को भी होगा खासा लाभ-

अभी तक योजनाओं के गांव में न बनने से आम तौर पर बच्चों के मुद्दे उपेक्षित ही रह जाते थे। विभागों की रस्साकस्सी में उनकी जरूरतें योजनाओं में शामिल नहीं हो पाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि गांव की सरकार न सिर्फ बड़ों के ही लिए बल्कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी जिम्मेदार होंगी। इसमें आ रहीं दिक्कतों को ग्राम पंचायतें पूरा करेंगी। प्राथमिक विद्यालयों में दाखिले से सम्बन्धित मुद्दों, सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन, स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आहार, टीकाकरण जैसी व्यवस्था की जिम्मेदारी ‘गांव के सरकार’ की ही होगी। गांव में लाइब्रेरी और उसमें प्र्याप्त पुस्तके होने का जिम्मा भी गांव की सरकार को ही दिया गया है। काशी विद्यापीठ ब्लाक के रमना गांव की प्रधान आरती पटेल कहती है कि ‘ नई व्यवस्था में हम बच्चों का अधिक भला कर सकेंगे। हमें पता है कि हमारे गांव में बच्चों की क्या समस्या है। बच्चों की समस्या हमारी प्रथमिकता में है। ग्राम समाज की पहली बैठक में ही हम इस मुद्दे को उठायेंगे और उसका हल निकाल लेंगे। पिण्डरा ब्लाक के लल्लापुर गांव के प्रधान राजेन्द्र का भी कहना है कि गांव की सरकार बनने से बच्चों की समस्या पर अधिक ध्यान दिया जा सकेगा। अब चूंकि सब स्थानीय स्तर पर होना है लिहाजा हम समस्या का समाधान भी खोज लेंगे। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके खेल, स्वास्थ्य पर हमारा विशेष ध्यान होगा।

तिवारीपुर गांव के प्रधान उमाकांत तिवारी कहते है अब वह समय आ गया है जब हम बालश्रम, बाल तस्करी और बाल विवाह जैसी समस्याओं पर एकजुट होकर प्रहार कर सकेंगे। अपनी ऐसी ही कोशिशों से हमने अपने गांव को बालश्रम से मुक्त कर रखा है। नई व्यस्था में हम प्रयास करेंगे कि आसपास के गावों में भी इसके लिए अलग से बजट बनाकर काम हो और यह बुरार्इ जड़ से खत्म हो जाए।

बालश्रम, बालतस्करी और बालविवाह रोकने की कई घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चाइल्ड लाइन के जिला परियोजना समन्वयक शिशिर श्रीवास्तव कहते है ग्राम पंचायतों की नई व्यवस्था बच्चों से सम्बन्धित ऐसे मुद्दों पर अत्यन्त कारगर होगी। गांवों में सजगता बढ़ेगी और बालश्रम, बाल विवाह व बाल तस्करी की सूचनाएं हमें फौरन प्राप्त होंगी और हम तत्काल कार्रवाई कर सकेंगे।

तेजी से संवरेगा बच्चों का भविष्य

जिला पंचायतराज अधिकारी उपेन्द्र पाण्डेय कहते है-‘गांव की ‘‘सरकार’ बनने से बच्चों का भी काफी भला होगा। अब गांव में बच्चों के भी अनुरूप योजनाएं बन सकेंगी और उन्हें अमल में लाने की जिम्मेदारी ‘गांव की सरकार’ की होगी। प्रदेश सरकार का पूरा प्रयास है कि वह वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के पीढ़ी का भी पूरा ध्यान रखे। यही कारण है कि हम बच्चों के भविष्य को संवारने से सम्बन्धित योजनाओं पर ज्यादा जोर दे रहे है।’’

“गांव की सरकार” इन मुद्दों पर भी रखेंगी विशेष ख्याल

  • खेल के मैदान/सार्वजनिक पाकों में रखरखाव व सुधार
  • सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में दाखिला से संबंधित मुद्दे
  • सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए मध्याह्न भोजन की व्यवस्था से संबंधित मुद्दे
  • सरकारी स्कूलों में छात्रों के स्वाथ्य की जांच की व्यवस्था के लिए अनुरोध
  • आंगनवाड़ी केंद्र में आहार कार्यक्रमों से संबंधित मुद्दे
  • आंगनबाडी पर बच्चों का टीकाकरण
  • सार्वजनिक पुस्तकालय और उसमें पर्याप्त संख्या में पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं की व्यवस्था

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