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वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण नाव चलाने पर लगी रोक, जल पुलिस करेगी निगरानी

वाराणसी। जिले में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। तेजी से बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सोमवार से गंगा में नौकायन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस की ओर से नाविकों से सहयोग की अपील करते हुए कहा गया है कि वह जलस्तर सामान्य होने तक नावों का संचालन न करें। नौकायन पर प्रतिबंध की निरंतर निगरानी की जिम्मेदारी जल पुलिस को दी गई है। इसके साथ ही लंका, भेलूपुर, दशाश्वमेध, चौक, कोतवाली, आदमपुर और रोहनिया थाने की पुलिस को इस संबंध में विशेष रूप से सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है।

24 घंटे में लगभग 2 मीटर बढ़ा जलस्तर

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार सोमवार की सुबह 10 बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर 66.68 मीटर दर्ज किया गया। जल आयोग के अनुसार बीते 24 घंटे में लगभग 2 मीटर जलस्तर बढ़ा है। इसके पहले रोजाना लगभग 1 मीटर की बढ़ोतरी जलस्तर में दर्ज की जा रही थी। उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में जारी बारिश की वजह से अभी जलस्तर और बढ़ेगा। गौरतलब है कि वाराणसी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर है और खतरे का निशान 71.262 मीटर है। वहीं, वाराणसी में गंगा के बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर है।

उधर, एसीपी दशाश्वमेध अवधेश कुमार पांडेय ने बताया कि नाविक समाज के लोगों को समझाया गया है कि गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रही वृद्धि को देखते हुए नौकायन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जल पुलिस को गश्त और निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। नौकायन पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही गंगा में स्नान को लेकर भी जल पुलिस चौकी से लगातार श्रद्धालुओं को आगाह किया जा रहा है कि वो गहरे पानी में न जाएं।

ढाब क्षेत्र में रहने वालों की चिंता बढ़ी

गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से वाराणसी के चौबेपुर के ढाब क्षेत्र के सोते में पानी घुस गया है। इसके चलते ढाब क्षेत्र के लोगों को कटान का डर सताने लगा है। सोते में पानी घुसने से मोकलपुर गांव के संपर्क मार्ग पर पानी भर गया है और लोग नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं। इसी तरह से ढाब क्षेत्र के रमचंदीपुर, गोबरहां, छितौना, रेतापार, चांदपुर और आसपास के अन्य गांवों के लोगों की भी समस्याएं बढ़ गई हैं। वहीं, दूसरी ओर शहर में हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह स्थल बदलने के साथ ही दशाश्वमेध घाट सहित अन्य प्रमुख गंगा घाटों के आरती स्थल भी बदल गए हैं।

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