पत्रकार समाज का आज भी आईना है और सभी को है उससे उम्मीद
वाराणसी। हिंदी पत्रकारिता का अपना शानदार इतिहास रहा है। बदलते दौर में मिशन से प्रोफेशन हो चुकी पत्रकारिता के समक्ष कई कई चुनौतियां हैं। बावजूद इसके पत्रकार आज भी अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहते हैं। तमाम दुश्वारियां का सामना करते हुए वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। यही कारण है कि समाज में उनकी बेहद जरूरत महसूस की जाती है।
हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी के पहले दिन वक्ताओ ने उक्त विचार व्यक्त किया। हिंदी पत्रकारिता की प्रवृत्तियां अतीत से वर्तमान तक विषय पर संगोष्ठी में खुलकर चर्चा हुई। वक्ताओं ने पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तार से जानकारी जी साथ ही इसके उतार-चढ़ाव का भी जिक्र किया हिंदी पत्रकारिता का आजादी के आंदोलन में योगदान और आजादी के बाद समाज निर्माण में इसकी भूमिका पर गहन चर्चा हुई।
संगोष्ठी के प्रारंभ में विषय स्थापना पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ विनोद सिंह ने की और उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश शासन की पत्रकारिता हिमांचलप्रदेश माध्यायन के प्रधान संपादक प्रोफेसर पुष्पेन्द्र सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शशि प्रताप सिंह, प्रभाकर पांडेय प्रो मनोज दयाल योगेंद्र सिंह आदि लोग उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉ प्रदीप कुमार सिंह व डॉ अरूण कुमार शर्मा ने किया संगोष्ठी में, राकेश नागेन्द्र पाठक प्रकाश जायसवाल आदि लोग शामिल थे।