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लॉकडाउन में भी 650 मजदूर दो शिफ्टों में जुटे हैं दिन-रात

 

वाराणसी। कोरोना काल में जहां दुनिया संक्रमण से लड़ रही है। वहीं, दूसरी तरफ काशी के कायाकल्प का काम थमा नहीं है। संक्रमण काल में भी यहां 650 मजदूर दो शिफ्टों में दिन-रात काम में जुटे हुए हैं। अगस्त 2021 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है।

काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण कार्य ने तेज गति पकड़ ली है। धाम का स्वरूप अब धीरे-धीरे आकार ले रहा है। मंदिर के चौक का काम अब प्रगति की ओर है। गुलाबी पत्थरों की आभा अब दर्शनार्थियों को भी नजर आने लगी है। नक्काशीदार पत्थरों की खूबसूरती भी उभरकर सामने आ रही है। धाम क्षेत्र की इमारतों की दीवारों पर बालेश्वर के पत्थर अब सजने लगे हैं।

ऐतिहासिक दस्तावेज होंगे दुनिया के सामने

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम में मणिमाला के मंदिरों का ऐतिहासिक दस्तावेज देश-दुनिया के सामने होगा। धाम में मिले प्राचीन मंदिरों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को तैयार करने के लिए पुरातत्व विभाग (एएसआई) भोपाल की टेंपल सर्वे की तीन सदस्यीय टीम ने काम शुरू कर दिया। परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता से जुड़ी जानकारियां जुटाई जा रही हैं। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदे गए 300 भवनों में 60 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर मिले हैं।

19 इमारतों पर चल रहा है काम

श्री काशी विश्वनाथ धाम के किनारे खड़ी की गईं टिन की ऊंची दीवारों के अंदर भारी-भरकम सुरक्षा के बीच कारीगर, इंजीनियर और मजदूर 5.3 लाख वर्गफुट में धाम को आकार देने में लगे हैं। मंदिर परिसर से लेकर गंगा घाट तक 24 इमारतें बनाई जाएंगी। इसमें से 19 इमारतों पर काम चल रहा है। इसमें मंदिर परिसर, मंदिर चौक, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, मुमुक्षु भवन अस्पताल का निर्माण शुरू हो चुका है।

मंदिर चौक का हिस्सा सी सेप में निर्मित किया जाएगा। यहां से सीधे मां गंगा के दर्शन किए जा सकेंगे। अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि 650 मजदूर दो शिफ्टों में लगातार काम कर रहे हैं। 345.27 करोड़ रुपए की लागत से काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण हो रहा है। अगस्त 2021 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।

भूकंपरोधी होगा भवन, दो लाख लोग कर सकेंगे दर्शन

भूकंप और भूस्खलन की स्थिति में भी मुख्य मंदिर परिसर की दीवार की मजबूती को बनाए रखने के लिए पीतल की प्लेटें प्रयोग में लाई जा रही हैं। वी आकार की छह इंच चौड़ी और 18 इंच लंबी 600 ग्राम वजन की पीतल की प्लेटों को पत्थरों से जोड़ने के लिए 12 इंच की गुल्ली लगाई जा रही है। गुल्ली का वजन भी 400 ग्राम केआसपास है। विशेष प्रकार के केमिकल लेपाक्स अल्ट्राफिक्स का इस्तेमाल पीतल और पत्थरों के बीच खाली जगह को भरने के लिए किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण होने के बाद 2 लाख लोग आसानी से आ सकेंगे। जहां पहले श्रद्धालुओं के खड़े होने के लिए पांच हजार वर्गफीट की जगह भी नहीं थी। वहीं, इसके बनने के बाद दो लाख श्रद्धालु एक साथ आ सकेंगे।

5.3 लाख वर्गफुट में 70 फीसदी जगह हरियाली के लिए रखी गई

काशी के मणिकर्णिका और ललिता घाट से कॉरिडोर की शुरुआत होगी। 5.3 लाख वर्गफुट में तैयार होने जा रहे इस इलाके में 70 फीसदी जगह हरियाली के लिए रखी जाएगी। धाम में घाट की ओर से आने के लिए ललिता घाट पर प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। इसके अलावा सरस्वती फाटक, नीलकंठ और ढुंढिराज गेट से भी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया जा सकेगा। मंदिर परिसर में गर्भगृह से लगा हुआ बैकुंठ मंदिर, दंडपाणि के साथ तारकेश्वर और रानी भवानी मंदिर रहेगा।

इसके अलावा गर्भगृह से लगे बाकी विग्रहों को परिसर के पास ही बनाया जाएगा। परिसर में 34 फीट ऊंचाई वाले चार गेट होंगे। पूरे परिसर में मकराना और चुनार के पत्थर लगेंगे। परिसर लाइट से जगमगाएगा। यहां धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व के पेड़ भी होंगे। कॉरिडोर के बाहरी हिस्से में जलासेन टैरेस बनाई जाएगी। इस टैरेस पर खड़े होकर गंगा जी के साथ ही मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट को भी निहारा जा सकेगा।

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