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कोरोना संक्रमितों को ‘जीवनदान’ देने में लगी महिला

बिहार। के मुजफ्फरपुर की महिलाओं के एक समूह ने कोरोना संक्रमितों की मदद के लिए ऑक्सीजन और खाना पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। वे मरीजों को जरूरी चीजें देने के अलावा उनका हाल जानने के लिए रोज फोन करती हैं।

बिहार के मुजफ्फरपुर की ये महिलाएं अब तक 45 से अधिक घरों में संक्रमितों को मुफ्त में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचा चुकी हैं। साथ ही, होम आइसोलेशन में रह रहे परिवारों के लिए नाश्ता और खाना भी पहुंचा रही हैं। महिलाओं को एकजुट करने वाली लाजो केडिया बताती हैं कि यहां होम आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमितों को काफी परेशानी हो रही थी। उन्होंने बताया कि जब मरीजों को ऑक्सीजन का संकट हुआ तो उन्होंने कंसंट्रेटर उपलब्ध कराना शुरू किया। इन महिलाओं के सामने आने के बाद जिन घरों में कल तक बेचैनी थी, अब उन घरों में निश्चिंतता है।

लाजो कहती हैं कि उन लोगों ने करीब 25 दिनों में 45 से अधिक घरों में ऑक्सीजन के सिलेंडर पहुंचाए हैं। उनके मुताबिक मदद पाने वाले अधिकांश मरीज अब ठीक होने की स्थिति में हैं और कई तो निगेटिव हो गए हैं।

वे बताती हैं कि लोग परेशान थे, पैसे रहते लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी। ऐसे में उन्हें कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन देने की जानकारी मिली और उन लोगों ने इसे खरीदने का निर्णय लिया। मुजफ्फरपुर की महिला संगठन ने तत्काल 12 कंसंट्रेटर खरीदे। लाजो कहती हैं कि जब बिहार में कंसंट्रेटर उपलब्ध नहीं थे, तो रिश्तेदारों की मदद से अन्य राज्यों और नेपाल से कंसंट्रेटर खरीदे गए। हमने 11 ऑक्सीजन सिलेंडर भी मंगवाए हैं, जिनसे लोगों की मदद की जा सके।

लायंस क्लब की एक सदस्य अलका अग्रवाल बताती हैं कि जिन मरीजों को कंसंट्रेटर या ऑक्सीजन सिलेंडर दिया जाता है उनसे हर रोज फोन कर हालचाल लिया जाता है, जिससे मरीज का बीमारी से लड़ने के लिए उत्साह बना रहे। मरीज के ठीक होने के बाद कंसंट्रेटर वापस ले लिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह सेवा पूरी तरह निशुल्क 24 घंटे चल रही है।

लाजो कहती हैं कि इस बीच यह भी देखने को मिला कि जब पूरे घर के सदस्य संक्रमित हो गए तो उनके सामने खाना बनाने की भी समस्या भी हो जाती है। इसके बाद इन महिलाओं ने ऐसे घरों में नाश्ता और खाना पहुंचाने का भी बीड़ा उठाया। उन्होंने बताया कि खाने में दाल, चावल, रोटी और सब्जी भेजी जा रही है। मरीजों के घर में खाना पहुंचाने के लिए ये महिलाएं अपने-अपने घरों में ही खाना पकाती हैं और एक जगह जमा होकर संक्रमितों के घर पहुंचा दिया जाता है। लाजो ने बताया कि फिलहाल दिन में करीब 250 और रात में करीब 400 रोटियां बनाई जा रही हैं और ऐसे घरों में पहुंचाई जा रही है।

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