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श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्ध विद्यालय को बंद किये जाने के विरोध में दृष्टिबाधित छात्रों ने लंका से दुर्गाकुंड तक मार्च किया

सभा को संबोधित करते हुए छात्रों ने कहा कि अन्ध विद्यालय बचाने की लड़ाई देश का भविष्य बचाने के लिए है। 21वीं सदी में विश्व जहां विकलांगजनों को अपना जीवन स्वाभिमान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीने के लिए प्रेरित कर रहा है वहीं हमारे देश मे सरकार और सामाजिक संस्थाएं विकलांगो के मूल अधिकार दबा कर भविष्य के साथ मजाक कर रही है। विकलांगो की सेवा के नाम पर बनारस शहर में व्यापार हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने विकलांगो का इसी शहर में नया नामकरण किया था। विकलांगजनो का नामकरण सरकारे पूर्व में भी करती रही हैं, मगर इस बार प्रधानमंत्री ने दिव्यांग कहा। हमे लगा कि इस बार हम विकलांगजनों के जीवन मे भी क्रांतिकारी सुधार होंगे मगर ये शब्द “दिव्यांग” केवल विकलांगता का एक दैवीय आवरण मात्र ही सिद्ध हो सका। विकलांग छात्रों के साथ तस्वीरों में नजर आकर प्रधानसेवक ने जनता के समक्ष तो अपनी सेवकाई सिद्ध कर दी किंतु विकलांगजनों को अबतक सेवाएं मिल नही पाई हैं। दशा यह है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में एक पूंजीपति अपनी ताकत का इस्तेमाल कर के पूर्वाचंल का सबसे बड़ा अन्ध विद्यालय को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर देता है और सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। जबकि उत्तर प्रदेश में मात्र 4 अंध विद्यालय हैं और दृष्टिबाधित बच्चों की संख्या लाखों में है। हनुमान प्रसाद पोद्दार विद्यालय को बंद करने के विषय को जिले के अफसर से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक दृष्टिबाधित छात्रों ने भेजा पर किसी ने अब तक कोई भी सुनवाई नही की।

छात्रों ने कहा कि देश भर से वो दृष्टिबाधित छात्रों को बनारस बुला रहर हैं और आने वाले समय आंदोलन को और मजबूत करेगें। हमारी एकमात्र मांग है कि हमारे ब्लाइंड स्कूल को सरकार अपने नियंत्रण में लेकर पुनः शुरू करे। हम देश के प्रधानमंत्री मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हैं, वो लगातार दृष्टिबाधित छात्रों के प्रति अपनी भावना प्रकट करते रहे हैं। अब समय आ गया है कि उन छात्रों की आम जरूरतों को तो कम से कम सरकार समझे।

पदयात्रा एवं सभा में ‘सेवा नहीं अधिकार चाहिए’ , ‘मोदी-योगी होश में आओ’, ‘किशन जालान होश में आओ’, ‘हम पढ़ने का अधिकार मांगते नहीं किसी से भीख मांगते’, ‘हम विद्यालय बचाने निकले हैं आओ हमारे साथ चलो’ आदि नारे लगाए गए।
सभा व मार्च में मुख्य रूप से शशि, राकेश, मंदीप, राजकुमार, राकेश,प्रवीण, अनिरुद्ध,आकाश,भोले, विजय,विवेक,नीरज, सचिन,रविन्द्र,आशुतोष पांडेय,राहुल, अनंत, मुरारी, उमेश, अर्जुन,सुग्रीव, अंगद आदि सैकड़ो छात्र मौजूद थे।

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