पटना। कोरोना की दूसरी लहर में कई बार ऐसे मौके देखने को मिले कि किसी के मरने के बाद उनके परिवार वालों ने भी लाश को लेने से न सिर्फ मना कर दिया, बल्कि हिंदू परम्पराओं के अनुसार अंतिम संस्कार भी नहीं किया। इस तरह के कई मामले मार्च से लेकर अब तक बिहार में सामने आ चुके हैं। लेकिन, इन सबके बीच पटना में तीन दोस्त ऐसे हैं, जो लगातार कोरोना से मरने वाले वैसे लोगों की लाश को हिंदू परम्पराओं के साथ दाह संस्कार करवा रहे हैं, बल्कि कोरोना से पीड़ित लोगों और उनके खाना न बना पाने की स्थिति में उनके अटेंडेंट तक बना हुआ खाना पहुंचा रहे हैं। इस काम की शुरुआत पटना के राजीव नगर के रहने वाले विशाल कुमार सिंह ने की। अपने इलाके में समाज सेवा का काम आम दिनों में भी ये करते रहते हैं। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर में इनका साथ पटना में रेस्टोरेंट चलाने वाले इनके दो दोस्त अभिषेक सिंह और दिलीप कुमार सिंह भी दे रहे हैं।
रिटायर्ड कर्नल और मारुति इंजीनियर समेत 30 से अधिक की लाशों को जलवाया
विशाल के अनुसार, पटेल नगर के रहने वाले उनके दोस्त अभिषेक सिंह लाशों को जलवाने में उनकी मदद करते हैं। जबकि, दिलीप दिन और रात में लोगों तक खाना पहुंचवाने में उनका साथ देते हैं। जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी, उस दौरान लोगों को ऑक्सीजन और एंबुलेंस नहीं मिल रहे थे तो उस दरम्यान भी इन लोगों ने मिलकर कई पीड़ितों की मदद की। जिन्हें ऑक्सीजन चाहिए था, उन्हें वो उपलब्ध कराया। जिन्हें एंबुलेंस चाहिए था, उन्हें भी इसमें मदद की। वो भी बगैर किसी प्रकार का कोई शुल्क लिए।
विशाल बताते हैं कि नगर निगम और जिला प्रशासन की मदद से अब तक 30 से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं। इसमें रुबन हॉस्पिटल में मरने वाले एक रिटायर्ड कर्नल और समय हॉस्पिटल में मरने वाले मारुति कंपनी के एक इंजीनियर भी शामिल हैं। इनके परिवार के लोग भी कोरोना संक्रमित थे। इस कारण हॉस्पिटल से श्मशान घाट एंबुलेंस से ले जाना और फिर रजिस्ट्रेशन करवा कर उनका अंतिम संस्कार कराना। इस तरह से कोरोना संक्रमित परिवारों की मदद की गई। इस दरम्यान कोविड प्रोटोकॉल का पालन पूरी तरह से किया गया।
कुछ ऐसे लोगों की लाशों का भी अंतिम संस्कार कराया गया, जिनकी मौत कोरोना से हुई और घंटों हॉस्पिटल में पड़ी रही। उनकी लाश को ले जाने के लिए परिवार के लोग आए ही नहीं।
दिन में 150 तो रात में भी 150 लोगों को पहुंचवाते हैं खाना
पटेल नगर और शगुना मोड़ में खाना बनाने का इंतजाम किया हुआ है। इन दोनों ही जगहों के बीच की दूरी में जो भी इलाके आते हैं और वहां के होम आईसोलेशन में रहने वाले स्थानीय लोग हों या फिर IGIMS या किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों के अटेंडेंट। कॉल कर जिनका भी ऑर्डर आता है, उन्हें हर दिन दो वक्त का खाना उपलब्ध कराया जाता है। विशाल बताते हैं कि पिछले 24 दिनों से खाना बनवाने और उन तक पहुंचाने का काम लगातार नि:शुल्क जारी है। हर दिन सुबह में 150 और शाम में 150 लोगों तक अच्छी क्वालिटी का खाना पहुंचाया जा रहा है।
इसमें दिन में चावल, दाल, सब्जी, भुजिया, दो रोटी और सलाद व शाम में रोटी, उबला अंडा, सब्जी हर पैकेट में पैक होता है। जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाने का यह काम आगे भी जारी रहेगा। खाना पहुंचाने के लिए 5 युवकों को अलग से रखा गया है। इसका पूरा खर्च तीनों दोस्त मिलकर ही उठा रहे हैं।