लखनऊ। कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार की शाम ब्लैक फंगस से एक महिला रोगी की मौत हो गई। उसका इलाज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में चल रहा था। महिला कोरोना से मुक्त हो चुकी थी। ब्लैक फंगस से लखनऊ में यह पहली मौत है। जबकि प्रदेश में अब तक इस बीमारी से तीन लोगों की जान गई है। पूर्व में दो मौतें कानपुर में हो चुकी हैं।
आंख और नाक में था संक्रमण
डॉक्टरों के अनुसार, महिला की आंख और नाक में ब्लैक फंगस का संक्रमण था। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद बीते बुधवार को अचानक महिला को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। चेहरे पर सूजन आ गई थी। परिजनों ने उसे लोहिया संस्थान में भर्ती करवाया। डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कराया तो फेफड़े में संक्रमण मिला। इलाज शुरु करने के साथ फंगस कल्चर जांच की सलाह दी गई। परिजन यह प्रक्रिया शुरु कर पाते उससे पहले ही उसकी मौत हो गई।
कानपुर में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक रोगी
अधिकारियों के मुताबिक, कानपुर में 51, गोरखपुर में 16, लखनऊ में 8, मेरठ में 5 और वाराणसी-झांसी में 3-3, हापुड़ और मथुरा व गाजियाबाद में एक-एक मरीज मिले हैं। बीते एक सप्ताह के अंदर देशभर में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। इसके बाद राज्य सरकारें अलर्ट हो गई हैं। योगी सरकार ने भी स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया है।
क्या है ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइक्रोसिस?
इंडियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार म्यूकोरमाइक्रोसिस इंफेक्शन है, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह इंफेक्शन नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई बार आंखों की रोशनी तक चली जाती है। कुछ मामलों में तो जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है। ब्लैक फंगस का इलाज काफी महंगा होता है। एक इंजेक्शन 5 हजार रुपए का तीन माह तक लगाया जाता है। इसके इलाज पर एक दिन में 60 से 80 हजार रुपए तक खर्च होते हैं।
कोरोना के मरीजों को ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकोरमाइक्रोसिस आम तौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है। शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइक्रोसिस खतरनाक रूप ले सकता है। यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर चला जाता है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनको यह जकड़ लेता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
- नाक में दर्द हो, खून आए या नाक बंद हो जाए।
- नाक में सूजन आ जाए।
- दांत या जबड़े में दर्द हो या गिरने लगें।
- आंखों के सामने धुंधलापन आए या दर्द हो, बुखार हो।
- सीने में दर्द।
- बुखार।
- सिर दर्द।
- खांसी।
- सांस लेने में दिक्कत।
- खून की उल्टियां होना।
- कभी-कभी दिमाग पर भी असर होता है।
किन्हें ज्यादा खतरा
- जिनका शुगर लेवल हमेशा ज्यादा रहता है
- जिन रोगियों ने कोविड के दौरान ज्यादा स्टेरॉयड लिया हो
- काफी देर आईसीयू में रहे रोगी
- ट्रांसप्लांट या कैंसर के रोगी
कैसे बचें?
- किसी निर्माणाधीन इलाके में जाने पर मास्क पहनें।
- बगीचे में जाएं तो फुल आस्तीन शर्ट, पैंट व ग्लब्स पहनें।
- ब्लड ग्लूकोज स्तर को जांचते रहें और इसे नियंत्रित रखें।