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इम्यूनिटी की मजबूती के लिए सही खानपान व शारीरिक श्रम जरूरी : डॉ. त्रिदिवेश

होम्योपैथी में है कोरोना जैसी बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने के नुस्खे
बीमारी नहीं बल्कि व्यक्ति के इलाज पर होम्योपैथी में रहता है जोर

लखनऊ, 23 मई । कोरोना काल में इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता की महत्ता हर किसी को बखूबी समझ में आ गयी है । यह क्षमता कोरोना से ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से भी रक्षा करती है, लेकिन इसे बाजार से पैसे के बल पर नहीं ख़रीदा जा सकता है बल्कि इसे व्यक्ति को खुद से बनाना पड़ता है । चाहे वह अपना आहार-विहार सही रखकर किया जाए या शारीरिक श्रम के बल पर बढ़ाया जाए । यह बातें वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. त्रिदिवेश त्रिपाठी ने एक खास मुलाक़ात के दौरान कहीं । डॉ. त्रिपाठी के कम्युनिटी मेडिसिन पर कई शोध भी मौजूद हैं । उन्होंने होम्योपैथी में कोरोना जैसी तमाम बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने के सरल, सुरक्षित और सबसे सस्ते इलाज के बारे में भी विस्तार से बताया । प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश –
सवाल : होम्योपैथी में क्या कोरोना का इलाज मौजूद है ?
जवाब : बीमारी से तत्काल मुक्ति पाने के चक्कर में आज लोग बड़ी तेजी के साथ एलोपैथ की तरफ भागते हैं और कई तरह के साइड इफेक्ट का शिकार हो जाते हैं, कोरोना के इलाज में ही देख लीजिये जल्दबाजी में स्टेरायड का सहारा लेने वाले ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को गले लगा रहे हैं । दूसरी ओर होम्योपैथी और आयुर्वेद जैसी पद्धतियों में कोरोना को जड़ से ख़त्म करने की पूरी ताकत मौजूद है और कोई प्रतिकूल प्रभाव भी शरीर पर नहीं पड़ता है । यही कारण है कि आयुष मंत्रालय तक ने होम आइसोलेशन में उपचाराधीनों के इलाज में होम्योपैथी को कारगर बताया है । मुंबई में तो आईसीयू में भी होम्योपैथी के इलाज का प्रयोग चल रहा है और सकारात्मक परिणाम आने की बात कही जा रही है । वायरस के इलाज में होम्योपैथी को पहले से ही महारत है और कोरोना भी एक तरह का वायरस ही है, इसलिए भरोसा करें ।
सवाल : कोरोना के प्रचलित इलाज से होम्योपैथी में कुछ अलग इलाज मौजूद है क्या ?
जवाब : हर विधा में इलाज का अपना एक तरीका होता है, उसी तरह से होम्योपैथी में बीमारी का नहीं बल्कि व्यक्ति का इलाज किया जाता है । व्यक्ति को फोकस करके उसकी जरूरत के मुताबिक़ इलाज किया जाता है और उसी के आधार पर दवाओं का चयन किया जाता है । यही कारण है कि कोरोना की दूसरी लहर में होम्योपैथी ने अपने आप अपना एक सम्मानजनक स्थान बना लिया है और बड़ी संख्या में लोग भारत की प्राचीनतम पद्धति आयुर्वेद और होम्योपैथ की तरफ लौट रहे हैं ।
सवाल : बीमारी नहीं बल्कि व्यक्ति के इलाज से क्या मतलब है ?
जवाब : इसका मतलब यह है कि सबसे पहले बीमार व्यक्ति की पूरी मनोदशा समझी जाती है और क्या दिक्कत है उस पर विस्तार से बात की जाती है , जैसे- बुखार आता है तो किस समय पर आता है, कितनी देर में उतर जाता है, बुखार के दौरान कंपकंपी होती है कि नहीं, पानी पीने का मन करता है कि नहीं । इन सवाल-जवाब के आधार पर दवाओं का निर्धारण किया जाता है क्योंकि बुखार की ही होम्योपैथी में करीब 50 दवाएं मौजूद होंगीं लेकिन उस व्यक्ति को वास्तव में किस दवा की जरूरत है वह उससे बातचीत के आधार और बताये लक्षण के आधार पर तय की जाती है । इसी तरह खांसी और बदन दर्द की दवा भी बातचीत के आधार पर तय होती है ।
सवाल : कोरोना की दूसरी लहर में सांस लेने में दिक्कत और आक्सीजन लेवल गिरने के ज्यादा मामले सामने आये हैं, उसका कारण क्या है ?
जवाब : पहली लहर में बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण 6-7 दिन रहते थे उसके बाद वायरस फेफड़े की तरफ बढ़ता था और तब आक्सीजन सेचुरेशन की दिक्कत सामने आती थी किन्तु इस बार वायरस ने इतना समय ही नहीं दिया । आक्सीजन की दिक्कत की जनक शरीर में सूजन है, वायरस गले में पहुंचा और सूजन पैदा किया और उतरकर फेफड़े की तरफ बढ़ गया जिसका असर यह हुआ कि सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी । होम्योपैथी की दवा यदि लक्षण आने के पहले दिन ही शुरू कर दी जाए तो वायरस गले के नीचे पहुँच ही नहीं पायेगा और ऐसी दिक्कत का सामना ही नहीं करना पडेगा ।
सवाल : डायबिटिक मरीज जो कोरोना प्रभवित हैं और आईसीयू में हैं उन्हें होम्योपैथी दवा दी जा सकती है ?
जवाब : कोरोना काल में आईसीयू में भर्ती करीब 15-20 मरीजों के परिजन संपर्क में आये और अपनी समस्या बताई कि आईसीयू में मरीज रिकवर नहीं हो रहा है, ऐसे में उनकी सहमति पर पीने के पानी के बोतल में दवा मिलाकर दी और यह भी सलाह दी कि एलोपैथ की जो दवाएं जैसे चल रहीं हैं, उन्हें वैसे ही चलने दें और इस पानी को पीने को दें । ऐसे मरीज अन्य मरीजों की तुलना में जल्दी ठीक हुए और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं नजर आया । इसके अलावा होम आइसोलेशन के मरीज भी अन्य की तुलना में जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं । इसके अलावा डायबिटिक मरीज की इम्युनिटी मजबूत होगी तो वह ब्लैक फंगस जैसे साइड इफेक्ट से भी प्रभावित नहीं होगा ।
सवाल : कोविड मरीजों में निमोनिया की दिक्कत सामने क्यों आ रही है ?
जवाब : वायरस जब सांस की नली से होते हुए फेफड़ों में उतर जाता है तो निमोनिया जैसी दिक्कत सामने आती है और विषाणुजनित निमोनिया को घर पर रहकर ही ठीक किया जा सकता है ।
सवाल : होम्योपैथिक दवा कैम्फोरा-1एम और आर्सेनिक अल्बम-30 में से कोरोना से सुरक्षित रखने में कौन से ज्यादा प्रभावी है ?
उत्तर : आयुष मंत्रालय द्वारा जनवरी 2020 में ही आर्सेनिक अल्बम-30 को लेने की संस्तुति मिली थी और उसकी डोज भी उसी समय तय कर दी गयी थी जबकि कैम्फोरा-1एम मुंबई के एक ग्रुप द्वारा प्रचारित की गयी है । इसके अलावा यही सलाह है कि वायरस ने अपना स्वरूप बदल लिया है, ऐसे में आर्सेनिक अल्बम की डोज डाक्टर को दिखाकर ही लें ।
सवाल : कोविड के बाद कफ और कमजोरी को कैसे दूर किया जा सकता है ?
जवाब : कोविड के बाद कफ और कमजोरी से निजात पाना है तो अपने नजदीकी किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क कर दवा ले सकते हैं, जो कि इस समस्या को जड़ से ख़त्म कर देगी, बगैर मरीज को देखे दवा का नाम बता देना उचित नहीं है ।
सवाल : ऐसा कहा जा रहा है कि कोविड की तीसरी लहर का ज्यादा असर बच्चों पर पड़ने वाला है, ऐसे में उनको सुरक्षित करने के लिए क्या करना चाहिए ?
जवाब : कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सक की सलाह पर आर्सेनिक अल्बम-30 की खुराक दी जा सकती है और जैसे ही कोई लक्षण नजर आएं या शरीर में सूजन लगे तो आरटीपीसीआर की रिपोर्ट का इन्तजार किये बगैर तत्काल होम्योपैथी की दवा शुरू कर देनी चाहिए, ऐसा करने से बच्चा आईसीयू में जाने से बच जाएगा । इसके अलावा बच्चे को अकेले आइसोलेट करने में दिक्कत आ सकती है, इसलिए घर के सभी बड़े लोग टीकाकरण जरूर करा लें ताकि बच्चों की देखभाल प्रोटोकाल का पालन करते हुए करने में आसानी हो ।
सवाल : पोस्ट कोविड मरीज क्या अपनाएँ ताकि जल्दी सामान्य स्थिति में पहुँच सकें ?
जवाब : दरअसल कोरोना के इलाज में एलोपैथ में जो दवाएं दी जाती हैं वह कीटाणुओं को मारने के लिए दी जाती हैं और वह दवा दुश्मन कीटाणु के साथ मित्र कीटाणु को भी ख़त्म कर देती हैं जबकि मित्र कीटाणु की हमारे शरीर में अहम् भूमिका होती है । इसलिए मित्र कीटाणु को फिर से लाने के लिए दही, मठ्ठा, छाछ, केला, मौसमी फल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है । इससे फ्लूड वापस आएगा और कमजोरी जायेगी । खानपान के अलावा मानसिक रूप से भी अपने को स्वस्थ बनाना होगा, क्योंकि जब तक प्रसन्न मन से किसी चीज को नहीं ग्रहण करेंगे, वह शरीर में नहीं लगेगी । इसके साथ ही गेंहूँ के ही आटे पर न निर्भर होकर बाजरा, कुट्टू, ज्वार आदि को आजमाना होगा, इसी तरह से दाल में भी केवल अरहर दाल को ही न खाएं, मसूर, मूंग, उड़द आदि दाल को अपनाएँ । जब इतनी सारी वैरायटी मौजूद हैं और उसको ठुकरायेंगे तो इम्यूनिटी कैसे बनेंगी ।
: होम्योपैथी में केवल दो-तीन दवाएं ही ऐसी हैं जो कि गर्भवती को नहीं दी जा सकतीं क्योंकि उससे गर्भपात जैसी स्थिति बनने की संभवना रहती है बाकी सभी दवाएं सुरक्षित हैं जिसे वह ले सकतीं हैं और गर्भस्थ शिशु पर भी उसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा ।
. जब भी कोई मरीज मेरे पास आता है तो सबसे पहले उसके डर को ख़त्म करते हैं क्योंकि डर के ख़त्म होने से 30 फीसद मजबूती उसके अन्दर अपने आप आ जाती है । इसके अलावा उसे 6-6-6 का फार्मूला पता होना चाहिए कि आक्सीजन की कोई दिक्कत समझ में आये तो पहले कम से कम 6 मिनट प्रोनिंग पोजीशन (पेट के बल लेटना) में रहना है, फिर छह मिनट तेज चलाना है और उस दौरान दिक्कत हो तो छह घंटे के अंतराल पर आक्सीमीटर से आक्सीजन लेवल पर नजर रखें, थोड़े – थोड़े समय पर आक्सीजन लेवल नहीं नापना है ।

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