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सावन के पहले सोमवार पर काशी में जलाभिषेक को रात 12 बजे से लगी लाइन, BJP सांसद रवि किशन भी पहुंचे

वाराणसी। आज सावन का पहला सोमवार है। पूरे देश में भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में जलाभिषेक के लिए शिव भक्त लाइन लगाए हैं। कोरोना महामारी के कारण रोक के बावजूद हजारों की संख्या में भक्त 12 ज्योर्तिलिंग में से एक काशीपुराधिपति श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए रात 12 बजे से डटे हैं। इस बीच, गोरखपुर से BJP सांसद रवि किशन ने भी बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। कोरोना को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने हर शिव भक्त के लिए काशी विश्वनाथ पूजन का LIVE टेलीकॉस्ट शुरू किया है। आप भी बाबा के दर्शन कर सकते हैं…

भोर में हुई मंगला आरती और श्रृंगार

सोमवार सुबह 4 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती और विशेष श्रृंगार किया गया। यहां शिवभक्तों के लिए रेड कारपेट बिछाया गया। रेड कारपेट से गुजरते हुए शिवभक्तों ने मंदिर में बने अरघे से बाबा विश्वनाथ को जल, दूध इत्यादि अर्पित किया। कोरोना संक्रमण के चलते गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। रामापुरा से गोदौलिया, दशाश्वमेध, बांसफाटक, चौक, बुलानाला और मैदागिन तक सिर्फ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई दे रहा है।

3 जोन 8 सेक्टर में बांटा गया दर्शन-पूजन का क्षेत्र

सावन माह के पहले दिन यानी रविवार को करीब 50 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए हैं। आज पहले सोमवार पर करीब 2 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। ऐसे में काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए दशाश्वमेध से गोदौलिया, बांसफाटक, चौक होते हुए मैदागिन तक का क्षेत्र 3 जोन और 8 सेक्टर में बांटा गया है। सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और पीएसी के अलावा सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को लगाया गया है।

आरपी घाट, शीतला घाट, अहिल्याबाई घाट, ललिता घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट सहित सभी प्रमुख गंगा घाटों पर जल पुलिस और पीएसी बाढ़ राहत दल के जवानों के अलावा 11 एनडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया है। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवानों को उनकी ड्यूटी के बारे में बताते हुए रविवार को कहा था कि किसी भी सूरत में श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं आनी चाहिए।

यह सावन सुखद संयोग वाला और फलदायी

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि इस बार सावन में चार सोमवार, दो प्रदोष और दो चतुर्दशी तिथि है। इस तरह से यह सावन बेहद ही सुखद संयोग वाला है। देवाधिदेव महादेव काशी में आदिविश्वेश्वर के स्वरूप में वास करते हैं। महादेव का यह राजराजेश्वर स्वरूप भक्तों के लिए कल्याणकारी और विशेष फलदायी है। महादेव जब कृपा बरसाते हैं तो जीवन कष्टों और बाधाओं से मुक्त हो जाता है।

काशीपुराधिपति सावन के प्रत्येक सोमवार को अलग-अलग स्वरूप में काशी में विराजते हैं। सावन के पहले सोमवार को नीलकंठ अपने शिव स्वरूप में भक्तों को दर्शन देकर उनका कल्याण करेंगे। लिंग पुराण के अनुसार भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। इसलिए सावन के पहले सोमवार को उनका श्रृंगार मानव आकृति के रूप में किया जाता है।

89 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया यदुवंशियों ने

विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए यदुवंशियों ने सावन के पहले सोमवार को 89 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। मान्यता के अनुसार वर्ष 1932 में घोर अकाल के दौरान पक्कामहाल की शीतला गली निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने 50 यदुवंशियों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर बारिश के लिए प्रार्थना की थी। उसके बाद तीन दिनों तक घनघोर बारिश हुई थी। तब से लेकर प्रतिवर्ष यदुवंशी जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन करते हैं।

कोविड-19 को देखते हुए इस बार 11 यदुवंशी केदारघाट से गंगाजल लेकर गौरी केदारेश्वर, तिलभांडेश्वर, आदिशीतला दशाश्वमेध, आह्लादेश्वर महादेव मान मंदिर, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय महादेव दारानगर, त्रिलोचनेश्वर गायघाट, ओंकारेश्वर अंबियामंडी एवं लाट भैरव का जलाभिषेक करने पहुंचे। बीते दो साल से कोरोना महामारी के कारण प्रतीक यात्रा निकाली जा रही है। साल 2020 से पहले सैकड़ों यदुवंशी जलाभिषेक में शामिल होते थे।

4 गेट से आवागमन की व्यवस्था

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि मैदागिन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को गेट नंबर 4 छत्ताद्वार होते हुए मंदिर चौक भेजा जाएगा। गेट-ए से प्रवेश करने के बाद श्रद्धालु गर्भगृह के पूर्वी प्रवेश द्वार पर जल चढ़ा सकेंगे। बांसफाटक से ढुंढिराज गली होकर आने वाले श्रद्धालु गेट-डी से प्रवेश कर गर्भगृह के पश्चिमी द्वार पर दर्शन और जलाभिषेक कर सकेंगे। सरस्वती फाटक की ओर से आने वाले श्रद्धालु गर्भगृह के दक्षिणी द्वार से दर्शन और जलाभिषेक करेंगे।

गेट-सी से वीआईपी, वीवीआईपी और सुगम दर्शन का टिकट लेने वाले प्रवेश करेंगे और गर्भगृह के उत्तरी द्वार से दर्शन और जलाभिषेक करेंगे। मंदिर परिसर को हर 6 घंटे पर सैनिटाइज कराने की व्यवस्था की गई है। आपात स्थिति के लिए डॉक्टरों की टीम मौजूद है। पेयजल और शौचालय की सुविधा के साथ ही खोया-पाया केंद्र भी बनाया गया है।

श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए रूट डायवर्जन की व्यवस्था

  • मैदागिन से चौक होते हुए गोदौलिया की तरफ जाने वाले वाहनों को मैदागिन से आगे नही जाने दिया जाएगा। यह ट्रैफिक मैदागिन चौराहे से लहुराबीर, मलदहिया की ओर तथा लहुराबीर से बेनियाबाग की तरफ भेजा जाएगा।
  • लक्सा की तरफ से आने वाली सभी प्रकार की सवारी गाड़ियों को लक्सा थाने से आगे नही जाने दिया जाएगा। यह ट्रैफिक गुरुबाग से कमच्छा की ओर तथा लक्सा से बेनिया की तरफ मोड़ दिया जाएगा।
  • लहुराबीर से होकर गोदौलिया की तरफ जाने वाली सभी प्रकार की सवारी गाड़ियों को बेनिया तिराहे से आगे जाने नही दिया जाएगा। यह ट्रैफिक बेनियाबाग वाया औरंगाबाद पुलिस चौकी से लक्सा की तरफ मोड़ दिया जाएगा।
  • अस्सी, सोनारपुरा से होकर गोदौलिया की तरफ जाने वाली सभी प्रकार के वाहनों को सोनारपुरा चौराहे से आगे नही जाने दिया जाएगा। यह ट्रैफिक भेलूपुर थाने की तरफ मोड़ दिया जायेगा।
  • भेलूपुर थाने से रेवड़ी तालाब होकर रामापुरा चौराहे की तरफ जाने वाले सभी प्रकार के वाहनों को तिलभांडेश्वर से आगे नही जाने दिया जाएगा। इन वाहनों को अस्सी तथा भेलूपुर की तरफ मोड़ दिया जाएगा।

मैदागिन से गोदौलिया नो व्हीकल जोन घोषित

मैदागिन से गोदौलिया होते हुए रामापुरा तथा इसी प्रकार रामापुरा, गोदौलिया से मैदागिन तक संपूर्ण मंदिर मार्ग सावन के प्रत्येक रविवार को रात 8 बजे से मंगलवार की सुबह 8 बजे बजे तक नो-व्हीकल जोन घोषित किया किया गया है। इसके तहत मैदागिन से गोदौलिया, रामापुरा तक तथा रामापुरा से गोदौलिया हो कर मैदागिन तक किसी प्रकार के छोटे-बड़े वाहन को नही जाने दिया जाएगा। यह मार्ग केवल पैदल यात्रियों के आने-जाने के लिए मुक्त रखा जाएगा।

बाबा दरबार जाएं तो इन बातों का रखें ध्यान

  • इलेक्ट्रानिक उपकरण लेकर दर्शन करने ना जाएं।
  • ज्वलनशील पदार्थ, माचिस और प्लास्टिक जैसी सामग्री साथ न ले जाएं।
  • कोई भी लावारिस सामग्री देखें तो तत्काल पुलिस को बताएं।
  • मास्क के बगैर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
  • मंदिर परिसर में संवेदनशील स्थानों की ओर न जाएं।
  • अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें और उन्हें निर्धारित लॉकर में ही रखें।
  • दर्शन से पहले गंगा में स्नान करने के दौरान गहराई में ना जाएं।

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