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कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव एक बार फिर टला

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव एक बार फिर टल गया है। CWC ने कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश के हालात को देखते हुए यह फैसला लिया है। सूत्रों के मुताबिक, पहले से तय डेडलाइन के मुताबिक मीटिंग में 23 जून को चुनाव कराने के लिए प्रस्ताव रखा गया, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना की भयावह स्थिति का हवाला देकर कहा कि ऐसी हालात में फिलहाल चुनाव कराना ठीक नहीं होगा। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे नेताओं ने भी गहलोत का समर्थन किया।

इससे पहले जनवरी में पार्टी ने तय किया था कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जून के अंत तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। हालांकि, इसे टालने के बाद अब चुनाव कब होंगे, इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है।

चुनावों में हार पर सोनिया बोलीं- सच का सामना करना होगा

बैठक में 4 राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा- इस हार पर ध्यान देना होगा। अगर सच्चाई से मुंह फेरा तो सही सबक नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैं एक ग्रुप बनाना चाहती हूं, जो इस हार के हर पहलू पर विचार करेगा। हमें ये समझना होगा कि केरल और असम में क्यों हारे। बंगाल में हमारे हाथ कुछ भी क्यों नहीं लगा। ये कड़वे अध्याय हैं, लेकिन हम सच का सामना नहीं करेंगे और सही तथ्यों को नजरंदाज करेंगे तो सही सबक हासिल नहीं कर पाएंगे।

मोदी सरकार पर भी नाराज हुईं सोनिया

सोनिया ने कहा कि महामारी बदतर होती जा रही है और सरकार लगातार विफल हो रही है। जनता मोदी सरकार की लापरवाहियों का खामियाजा भुगत रही है। मोदी सरकार ने वैज्ञानिक सलाह को नजरअंदाज किया है। सरकार ने अपने फायदे के लिए लगातार सुपर स्प्रेडर इवेंट्स को मंजूरी दी।

2019 में राहुल ने इस्तीफा दिया, सोनिया कार्यकारी अध्यक्ष बनीं

इससे पहले 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी ने बतौर कार्यकारी अध्यक्ष फिर से पार्टी की कमान संभाली थी। इसके बाद से ही कांग्रेस नेताओं का एक गुट फुलटाइम और एक्टिव प्रेसिडेंट चुनने की मांग कर रहा है। वहीं, गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष बनाने की मांग भी उठती रही है।

कांग्रेस में कामकाज के तरीके पर सवाल उठे थे

पिछले साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि फाइव स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले फाइव स्टार होटल बुक करते हैं। अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे।

आजाद ने कहा था कि जब तक इस कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है।

कांग्रेस नेताओं ने सोनिया को चिट्ठी भी लिखी थी

वहीं, पार्टी से नाराज 23 नेताओं ने इस मसले पर सोनिया गांधी को चिट्‌ठी भी लिखी थी। इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी। इस चिट्‌ठी में नेताओं ने सोनिया गांधी से ऐसी फुल टाइम लीडरशिप की मांग की थी, जो फील्ड में एक्टिव रहे और उसका असर भी दिखे।

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