दिल्ली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिन के दिल्ली दौरे से मिशन-2022 यानी अगले विधानसभा चुनाव के लिए जीत का फाॅर्मूला लेकर लौट आए हैं। दो दिनों तक CM ने दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी योगी ने मुलाकात की। अब इसके सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक CM ने मोदी-शाह के सामने कोरोना की दूसरी लहर में अपनी सरकार के कामों को गिनाया है। साथ ही मिशन 2022 की तैयारियों की जानकारी दी है। कहा जा रहा है कि अब पार्टी का पूरा फोकस 2022 में यूपी में होने वाला विधानसभा चुनाव है। 2017 की ऐतिहासिक जीत को दोहराने के लिए खास रणनीति भी तैयार की गई है।
जातीय समीकरण साधने पर फोकस
पार्टी की पहली प्राथमिकता जातीय समीकरणों सेट करने की है। कहा जा रहा है कि 2017 में पार्टी की ऐतिहासिक जीत के पीछे UP का जातीय समीकरण था। पिछले विधानसभा चुनाव में BJP को UP में सभी जातियों का साथ मिला था, पार्टी सहयोगी दलों के साथ मिलकर 325 सीटें जीती थीx। कहा जाता है कि BJP की इस बड़ी जीत में गैर यादव OBC का बड़ा हाथ था। UP में OBC करीब 40% हैं और यह यूपी की सियासत में खासा महत्व रखते हैं।
दलित वर्ग भी कुल आबादी का करीब 21% है। इस लिहाज से सियासत में काफी मायने रखता है। इसके बाद नंबर आता है 20% अगड़ी जातियों का। इसमें सबसे ज्यादा 11% ब्राह्मण, 6% ठाकुर और 3% कायस्थ और वैश्य हैं। माना जाता है कि यादव को छोड़कर पिछड़ी जाति का बड़ा वोट BJP को मिला था। साथ ही जाटव को छोड़ बड़ी संख्या में दलितों ने भी BJP को वोट किया था। लेकिन जिन छोटे दलों के साथ लेकर BJP इन वोट बैंक को अपने पाले में लाई थी वह अब पार्टी से या तो दूर हैं या फिर नाराज।
छोटे दलों काे साधना भी बड़ी चुनौती
CM योगी को संगठन के साथ मिलकर इन छोटे दलों को साधने की रणनीति बनाने के लिए भी कहा गया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा निषाद पार्टी और अपना दल (एस) को भी पार्टी के साथ लाना होगा। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को केंद्र के मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुछ सीटें भी अपना दल को दी जा सकती हैं। निषाद पार्टी के नेताओं ने भी MLC एके शर्मा से दिल्ली में मुलाकात की है। माना जा रहा है कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो उन्हें भी जगह मिल सकती है।
इतना ही नही भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी अब BJP के साथ नहीं है। 2017 में BJP के साथ मिलकर SBSP ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 सीटें जीती भी थीं। यूपी के पूर्वांचल के कुछ जिलों में इस पार्टी का खासा प्रभाव भी है। पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने BJP से दूरी बना ली है और ये पार्टी के लिए अब परेशानी का सबब बन रहा है। लिहाजा इसकी काट के लिए बड़े राजभर नेता को भी पार्टी में शामिल कराने की रणनीति बनाई जा रही है।
सरकार और संगठन घर-घर तक पहुंचेंगे
जातीय समीकरण साधने और छोटे दलों को साथ जोड़ने के अलावा पार्टी UP में एक समाज के हर तबके को जोड़ने की कोशिश होगी। इसमें सरकार के साथ ही संगठन की भी बड़ी भूमिका होगी। शायद इसीलिए सरकार और संगठन को मिल कर काम करने के लिए CM से कहा गया है। दिल्ली में पार्टी के बड़े रणनीतिकारों ने इस कैंपेन की डिजाइन कर लिया है।
संगठन की मदद से हर घर तक सरकार की योजनाएं पहुंचाई जाएंगी। यह भी बताया जाएगा कि डबल इंजन की सरकार ने कैसे यूपी की तरक्की को रफ्तार दी है। पार्टी के बड़े नेता जनता के बीच जाकर कोरोना महामारी में सरकार की कोशिशों को बताएंगे। साथ ही उन्हें हर संभव सरकारी मदद भी पहुंचाएंगे।
मिशन 2022 की शुरुआत जल्द करेगी BJP
BJP को लगता है कि उत्तर-प्रदेश में विपक्ष कमजोर है। लिहाजा मिशन 2022 की शुरुआत जल्द की जाए तो बड़ी कामयाबी मिल सकती है। पार्टी यह भी मानती है कि उसकी सबसे बड़ी ताकत हिंदुत्व है। सूबे में योगी सबसे बड़ा चेहरा हैं। पार्टी को लगता है कि 2017 की तरह इस बार भी मोदी का जादू चलेगा।