कानपुर। एसी बस और टेंपो की भिड़ंत में एक ही गांव के 17 लोगों को मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे की सूचना मिलते ही मृतकों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। गांव में हर तरफ चीत्कार मच उठी। अपनों को खोने के गम में डूबे लोगों में सबसे ज्यादा पीड़ा धनीराम और उनके परिवार को उठानी पड़ी है। 5 बेटों में 3 की मौत हो गई। अपने 20, 22 और 24 साल के जवान बेटों की लाश देखकर पिता और मां बेहोश हो गए। बदहवास पिता डॉक्टरों के सामने चीख-चीखकर कहता रहा- मेरी जान ले लो, मेरे बेटों को जिंदा कर दो। 3 बेटों की अर्थी मेरे कंधे कैसे उठाएंगे?
दरअसल मंगलवार देर रात कानपुर में बड़ा हादसा हो गया। किसान नगर में हाईवे पर एसी बस और टेंपों की भिड़ंत में 17 लोगों की मौत हुई, जबकि 30 से ज्यादा घायल हुए। इनमें 10 की हालत गंभीर है।
सेहरा बंधने से पहले उठ गई अर्थी, जुलाई में तय थी शादी
पिता धनीराम ने बताया कि घर में इतनी आमदनी नहीं थी, इसलिए तीनों बेटे राममिलन (24), शिवचरन (22) और लवलेश (20) कम उम्र में ही कमाने लगे। राममिलन की शादी बिनगवां निवासी नीतू से जुलाई में तय की थी। गोदभराई हो गई थी। लेकिन क्या पता था, ये हो जाएगा। शादी की खरीदारी भी राममिलन ने खुद ही की थी।
2 बेटों की मौत से बिखर गया परिवार
इस हादसे में धर्मराज यादव (28 साल) और गौरव (22 साल) की भी मौत हुई है। दोनों सगे भाई थे। मौत की खबर सुनकर पिता त्रिभुवन बेसुध हो गए। जब भी होश आता है तो एक ही रट लगाकर कहते हैं कि मेरे बेटों को वापस ले आओ, वो फैक्ट्री गया है। 2 बेटों की मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया है। घर में कोई कमाने वाला भी नहीं बचा। मृतक के चाचा ने बताया कि लॉकडाउन में काम न मिलने से घर के सुधरे हालात फिर से खराब हो गए थे। कोरोना कर्फ्य हटा तो फैक्ट्री में तेजी से फिर काम शुरू हुआ। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
7 महीने पहले कमाना शुरू किया
हादसे में एक और पिता ने अपने जिगर के टुकड़े को खो दिया। शिवचरण (21) ने 6 महीने पहले ही पढ़ाई पूरी कर कमाना शुरू किया था। पिता कमलेश ने बताया कि काम नहीं मिला तो 280 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से बिस्कुट फैक्ट्री में काम करने लगा। कहता था कि कोरोना खत्म हो जाएगा तो बाहर कमाने जाऊंगा। टूटे घर को बनाएगा।
कन्यादान से पहले पिता की मौत
हादसे में मरने वालों में करन (45) भी शामिल है। उसके बेटे विवेक(17) ने बताया कि 2 बहनों की शादी होनी है। एक बहन काजल की शादी पिता ने तय की थी। 4 जून को शादी होनी थी, लेकिन लड़के के भाई का एक्सीडेंट हो गया तो शादी आगे बढ़ा दी गई। क्या मालूम था कि कन्यादान करने वाले हाथों का साया ही सिर से उठ जाएगा। बहन की शादी अब कैसे होगी? घर में पिता ही अकेले कमाने वाले थे।
बेटा हॉस्पिटल में भर्ती और पिता की हो गई मौत
मृतक उदय नारायण (55) के भाई लक्ष्मी नारायण ने बताया कि उदय की 4 बेटियां और 1 बेटा है। 2 बेटियों की शादी हो गई। मगर 2 बेटियों की शादी कोरोना के चलते नहीं कर सके। एक बेटी की गोदभराई और बरीक्षा हो चुकी है। एक लड़का कुलदीप हॉस्पिटल में बीमार पड़ा और हॉस्पिटल में एडमिट है। अब बच्चों की मां सावित्री के कंधों पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी आ गई है।
नहीं पहचान में आए शव
अपनों को खो चुके परिजन वैसे ही बदहवास थे। हादसा इस कदर भीषण था कि ज्यादातर की हेड इंजरी थी और सिर का हिस्सा लगभग खत्म हो गया था। उनके परिवारीजनों ने शव के हिस्सों को देखकर अपनों की पहचान की। ज्यादातर की बॉडी इस कदर क्षत-विक्षत थी कि उनके ऊपर नाम, पता लिखकर पर्ची लगाई गईं।